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________________ मुश्तरका खान्दान [ छठवां प्रकरण के नाम से खरीदकी गई है उनके लिये मुश्तरका खानदानकी जायदाद होजाती है और उस जायदाद में हरएक आदमीकी औलाद अपनी पैदाइशसे उसमें हक़ प्राप्त करलेती है जैसा कि कोपार्सनरी जायदादमें बताया गया है देखोराधाबाई बनाम नानाराव 3 Bom. 151; ट्रान्स्फर आफ प्रापरटी एक्ट नंक ४ सम् १८८२ की दफा ४५. ४६० - (३) मुश्तरका व्यापार या मेहनतकी जायदाद जो जायदाद, शिरकत के व्यापार द्वारा कमायी गयी हो, या मुश्तरका खानदानके मेम्बरोंकी मुश्तका मेहनतले पैदा कीगयी हो, और ऊपर के दोनों तरीकों में मुश्तरका खामदानका रुपया न लगा हो तो भी वह जायदाद मुश्तरका खानदानकी समझी आयगी । देखो - रामप्रसाद तिवारी बनाम शिवचरनदास 10 MI. A. 490. श्यामनरायन बनाम कोर्ट आफ़ बाईस 20 W. R. C. 1. 197. चतुर्भुज मेघ जी बनाम धरमसी नरायनजी 9 Bom. 438, 445, 446 गोपालासामी चिट्ठी बनाम अरुणचेलम चिट्टी (1903) 27 Mad. 32 और देखो मनुस्मृति नवम अध्याय श्लोक २२५ भ्रातृणामविभक्तानां यदुत्थानं भवेत्सह पुत्र भागं विषमं पिता दद्यात् कथंचन । मनुः मुश्तरका परिवार में बापके साथ भाइयोंने जो धन पैदा किया हो उसे ताप विषम भागसे पुत्रोंमें नांवांटे अर्थात् बराबर बांटे। मिताक्षराका भी यही सत है। मि० कोलब्रुक डाइजिस्ट Vol. 3 P.386. लेकिन जब यह किसीने साबित किया हो कि वह जायदाद सिर्फ साधारण भागीदारीके द्वारा पैदा कीगयी है जैसाकि कान्ट्रक्ट एक्ट में बताई गयी है तो उस जायदादमें सरवाइवरशिप आदि जो कोपार्सनरके हक़ हैं नहीं रहेंगे। देखो - 10 MI. A. 490; 9 Bom. 438; 25 Mad. 149, 156; रामनराय नृसिंहदास बनाम रामचन्द्र जानकीलाल 18 Cal 86; 25 A11.378. अगर मुश्तरका खान्दानके आदमियोंने मिलकर व्यापार नहीं कियाहो यानी उनमें से अगर कुछ आदमी छूट गये हों, और मुश्तरका जायदाद का रुपया उस व्यापारमें न लगाया गया हो तो अदालतको यह ख्याल रखने का मौका हो सकता है कि वह जायदाद जो इस तरहसे पैदा की गयी थी मुश्तरका खानदानकी नहीं है देखो - सुदर्शनम् मिस्ट्री बनाम नरसिम्हलू मिस्ट्री (1901 25 Mad. 149. मिस्टर मेन साहेब कहते हैं कि अगर मुश्तरका खान्दानका कुछ भी रुपया न लेकर कोई जायदाद पैदा कीगयी हो, चाहे वह मुश्तरका खान्दानके सब मेम्बरोंने मुश्तरकन् व्यापार करके या मेहनत करके पैदाकी होतो वह मुश्तरका खानदानकी जायदाद नहीं मानी जायगी और उस
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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