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________________ मुश्तरका खान्दान [ छठवां प्रकरण नोट-ध्यान रखोकि बेटे, पोते, परपोतेही मौरूसी जायदाद में अपनी पैदाइशते हक्र प्राप्त कर लेते हैं, जिस जायदाद में वे हक प्राप्त करते हैं वह मौरूसी जायदाद होती है अर्थात् वह जायदाद जो उनके बाप दादा, परदादाने अपने बाप दादा, परदादासे पायी हो । मगर लड़के, पोते, परपोते अपने बाप दादा, परदादा की खुद कमाई हुई जायदाद में कोई हक अपनी पैदाइश से प्राप्त नहीं करते | यह भी ध्यान रखो कि बेटे, पोते परपोते, कोपार्सनरी जायदाद में अपना हक अपनी पैदाइशसे प्राप्त करलेते हैं न कि सिर्फ मौरूसी जायदाद मेंही, क्योंकि मौरूसी जायदाद भी एक तरहकी कोपार्सनरी जायदाद है, कोपार्सनरी जायदाद में मौरूसी और मौरूसी के अलावा दूसरे किस्म की भी जायदादें शामिल होती हैं । उदाहरण (१) ऐसा मानो कि अ, ने अपने बापसे जायदाद पाई, और अ, के एक लड़का क, है । ऐसी जायदाद क, के लिये प्रतिबन्ध, है यानी क, अपने बाप अ, के साथ कोपार्सनर होजाता है और उसके मरने पर वह, जायदादको कोपार्सनर होनेकी वजेसे सरवाइवरशिपके हक़ के साथ लेता है। अगर अ, ने अपने दादा या परदादासे भी जायदाद पाई होती तो भी यही शकल होती, मगर परदादा बापसे यदि पाई होती तो यह शकल नहीं होती क्योंकि वह जायदाद उत्तराधिकारके अनुसार आती । ( २ ) ऐसा मानो कि अगर अ, की ज़िंदगीमें क, मरगया और ख, तथा ग, ज़िंदा हैं तो भी वह जायदाद 'अप्रतिबन्ध' रहेगी । 1 ( ३ ) ऐसा मानी कि - अगर अ, ने अपने भाईसे जायदाद पाई है। और उसके एक लड़का क, है तो अ, के पास यह जायदाद 'सप्रतिबन्ध' रूप से है क्योंकि क, का कोई हक़ उस जायदादमें अ, की जिंदगीमें नहीं है । अ, के मरने के बाद, क, उस जायदादको उत्तराधिकारके अनुसार लेगा । ४५८ अ 1 क - ख दफा ४१५ बंगाल स्कूलमें 'अप्रतिन्बध' जायदाद नहीं होती बङ्गाल प्रांत में जहांपर दायभाग माना जाता है वsiपर 'अप्रतिबन्ध*" जायदाद नहीं मानी जाती, सिर्फ मिताक्षरा स्कूलकेही अन्दर इस क़िस्मकी जायदाद मानी गई है । दायभागमें सब जायदाद 'सप्रतिबन्ध होती है क्यों कि इस स्कूल सिद्धांत के अनुसार कोई भी आदमी किसी दूसरे आदमीकी किसी जायदाद में अपनी पैदाइश से हक़ नहीं प्राप्त करसकता यानी लड़का, पोता, परपोता आदि अपनी पैदाइशसे मौरूसी जायदादमें हक़ नहीं प्राप्त कर सकते। इसका कारण यह है कि दायभागमें सरवाइवरशिपका सिद्धांत नहीं माना गया, उसमें उत्तराधिकारका हक़ माना जाता है, और यह हक़ आखिरी मालिक मरनेही पर प्राप्त होसकता है। ऐसा सिद्धांत होनेपर भी प्रिवी कौन्सिलने दायभाग के अन्दर जब दो या दो से ज्यादा विधवायें या लड़कियां हों और उन्हे कोई जायदाद मुश्तरकन् मिली हो तो वहाँपर सरवाइवर शिपका क़ लगाया है ।
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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