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________________ दफा ४१०] कोपार्सनरं ४५३ मिताक्षराला के अनुसार कोई कोपार्सनर मुश्तरका जायदादसे सिर्फ अपने हिस्से के पानेका अदालतमें दावा नहीं कर सकता, मगर वह जायदादके बटवारा करा पाने का दावाकर सकता है इससे यह मतलब है कि वह बटवारा करा पानेका दावा करे और पीछे अपना हिस्सा जायदाद में से अलाहदा कर लेवे; देखो-त्र्यंबक दीक्षित बनाम नरायन दीक्षित 11 Bom. H C. 69. रतन मनीदत्त बनाम बृजमोहनदत्त 22 W. R.C. R. 333. गोबिन्दचन्द्र घोष बनाम रामकुमार देव 24 W. R. C. R. 393. ___ जब कोई दूसरा आदमी कोपार्सनर नहीं है मुश्तरका जायदादके किसी हिस्सेको अपने कब्जे में लेकर उसका उपभोग करने लगे या उससे लाभ उठाने लगे तो एसी सूरतमें कोई भी कोपार्सनर अदालतमें नालिश करके उसे 'निकाल सकता है यानी यह ज़रूरी नहीं है कि सब कोपार्सनरोंको मिलकर दावा करना चाहिये। देखो-राधाप्रसाद बस्ती बनाम ईसुफ 7 Cal. 4149 9 Cal. L. R. 76; दर्शनसिंह बनाम दिग्विजयसिंह 9 C.LJ. 623. मियाद दावा करनेकी--अगर कोई आदमी मुश्तरका खानदानकी जायदादसे बेदखल होगया हो या उसका हक़ चलाया गया हो तो वह आदमी बारह वर्षके अन्दर अपने हकके पानेका और जायदादमें क़ब्ज़ा पानेका दावा कर सकता है; देखो-कानून मियाद ऐक्ट न० ६ सन १९०८ की दफा १२७ अगर किसी मुक़द्दमेंमें यह कहा जाता हो कि अमुक आदमी एक समयमें मुश्तरका खान्दानका मेम्बर था मगर अब नहीं है तो इस बातका सुबूत देना उसी पक्षकारपर निर्भर है जिसकी तरफसे यह बयान किया गया हो कि वह अब मुश्तरका खान्दानका मेम्बर नहीं है। देखो-इस किताबकी दफा ३६७ तथा 22 Bom. 259; 18 Bom. 197; 11 Bom. 365. क़ब्ज़ा मुखालिफ़ाना ( Adverse possession )--मुश्तरका खानदान की जायदादका अगर कोई हिस्सा किसी हिस्सेदारके पास अलहदा क़ब्ज़ेमें बारह वर्षसे ज्यादा रहा हो, और दूसरे हिस्सेदार कहते हों कि वह हिस्सा जो उसके पास अलहदा था सहूलियत आदिकी गरज़से अलहदा कर दिया गया था और असलमें वह शामिल शरीक खान्दानकी जायदाद है। ऐसी सूरतमें वह आदमी जिसके कब्ज़ेमें बारह वर्षसे ज्यादा वह जायदाद रही हो यह कह सकता है कि 'कब्ज़ा मुखालिफ़ाना' होगया। और इस वजेहसे उस श्रादमीसे जायदाद पीछा नहीं लीजासकेगी । बेनीसिंह बनाम भरतसिंह 1 Agra. 162. रंजीतसिंह बनाम मददअली (1868 ) 3 Agra 222. भानागोविन्द गुरावी बनाम विट्ठोजी लाड़ोजी गुरावी 3 Bom. H. C. A. C.170. मगर शर्त यह है कि किसी दूसरे हिस्सेदारने किसी वक्त यह ज़ाहिर किया हो कि वह जायदाद जो अलहदा एक हिस्सेदारके कब्जे में थी मुश्तरका है, और जिसके कब्जेमें थी उसने इस बातसे इनकार किया हो तो बारह वर्षकी
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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