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________________ ४५२ मुश्तरका खान्दान [छठवां प्रकरण उठाना; देखो हलधरसेन बनाम गुरुदासराय 20 W. R. C. R. 126;सुरेन्द्र नरायनसिंह बनाम हरीमोहन मिसर 33 Cal. 1201; स्टालकारट बनाम गोपालपाण्डे 12 B. L. R. 1973 20 W, B. C. R. 58; नन्दनलाल बनाम लोएड 22 W. R. C. R. 74. - बङ्गाल स्कूल-जब कोई कोपासनर सिर्फ अपने हकके पानका दावा कानूनन नहीं कर सकता, मगर यह शामिल शरीक रहने के लिये दावा कर सकता है ( ऊपरकी नज़ीरें देखो ) यह बात केवल बङ्गाल स्कूलमें होती है यानी बङ्गाल स्कूलमें बापकी ज़िन्दगीमें लड़कोंका हक़ कोपार्सनरी जायदादमें महीं है इसलिये लड़के बापसे अपना हिस्सा तो नहीं लेसकते मगर वह शामिल शरीक रहने के लिये दावा कर सकते हैं मगर शर्त यह है कि यह दावा कानून मियादके बाहर न हो। अगर कोई कोपार्सनर कोपार्सनरी जायदादमें कुछ ऐसा फेरबदल करता हो, या उसमें कोई ऐसी इमारत बनाता हो, या उसमें कोई ऐसा काम करता हो, कि जिससे कोपार्सनरी जायदादका नुकसान होता हो, या हो सकता हो, तो किसी कोपार्सनरकी प्रार्थनापर कोर्ट उस फेर बदल, या इमारत, या काम को बन्द कर देने और असली हालतमें कर देनेका हुक्म दे सकती है। देखो शशिभषण घोष बनाम गनेशचन्द्रघोष 20 Cal. 500. जानकीसिंह बनाम बखोरीसिंह Ben. S. D. A. 1856; P. 761. शादी बनाम अनूपसिंह (1889) 12 All. 436. परसराम बनाम सरजित 9 All 661. अब अनेक आदमी कोपार्सनरी जायदादके हक़दार हों तो वह सब आपसमें उस जायदादको अपनी सहूलियतकी गरज़से अपना अपना हिस्सा अलहदा करके लाभ उठा सकते हैं मगर ऐसा करनेसे उस जायदादका बट. धारा नहीं माना जायगा । देखो-ट्रिबेलियन हिन्दूलॉ पेज २२५ और जहांपर कि सब कोपार्सनरोंकी इजाज़तसे और सरज़ीसे किसी कोपार्सनरको मुश्तरका जायदादका कोई हिस्सा मिला हो और उसने उसे उन्नत किया हो तो घे बेदखल नहीं कर सकते । देखो-कलक्टर आफ चौबीस परगना बनाम देवनाथराय चौधरी 21 W. R. C. R. 222. जोतीराय बनाम भिचक मिया 20 W. R.C. P. 288. यदि कोपार्सनरी जायदादके अनेक हिस्सेदारोंने जब सिर्फ अपनी सहलियतके लिये अपना अपना हिस्सा अलहदा कर लिया हो तो हर एक हिस्सेधारकी जितनी आमदनी उस जायदादसे होगी वह सब मुश्तरका मानी जायगी अर्थात् कोई हिस्सेदार यह नहीं कह सकता कि, उसकी जायदादके हिस्सेकी वह आमदनी है इसलिये उसकी अलहहाकी होगयी, देखो--मुसस्मात बोनाकुंघर बनाम बोलेसिंह 8 W. R. O. R. 182...
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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