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________________ दफा ३८५-३८६] मिताक्षरा लॉके अनुसार ४३३ कोई भी नज़ीर नहीं है जो यहां तक पहुंचती हो कि किसी वेश्याकी पुत्री जन्मके कारण पैतृक सम्पत्तिपर अधिकार प्राप्त करती है। पाण्डेचेरी कोकिल अम्बल बनाम सुन्दर अम्मल 86 I. C. 633; 21 L. W. 259; A. I. R. 1925 Mad. 902. ___ यह प्रश्न जटिल है कि वेश्याओंकी पैतृक सम्पत्ति कौन है ? लड़की जो किसी वेश्यासे शेबातीके गर्भसे पैदा हुई है उसके बापका पता नहीं हो सकता और यह सही है कि वेश्याकी वह लड़की है। यदि बापका पता भी हो यानी वह वेश्या उतने दिन किसी खास आदमी के पास सिर्फ उसी के लिये रही हो तो भी वह लड़की बापकी जायदादमें कोई हक्क नहीं रखती। दफा ३८६ अपनी पैदाइशसे कौन लोग जायदादमें हक़ रखते हैं अब यह प्रश्न उपस्थित होता है कि वह कौनसे आदमी हैं जो अपने पैदा होते ही, उसी समयसे, मुश्तरका खानदानकी जायदादमें हकदार हो जाते हैं ? इसका जवाब यह है कि वह आदमी जो कि जायदादके मालिकको पिन्डदान कर सकते हैं, वही अपनी पैदाइशसे मुश्तरका खानदानकी जायदादमें हकदार हो जाते हैं; अर्थात् पुरुष शाखामें तीन पीढ़ी तककी सन्तान, बेटे, पोते, परपोतेको यह हक्क प्राप्त हैं। इसीलिये जिस आदमीके बेटा, पोता, परपोता ज़िन्दा हो तो यह सब और उसको मिलाकर एक हिस्सेदारी कायम करते हैं, और इनमें से हर एकको पिण्डदान करनेका अधिकार है। इसीलिये वह आदमी पैदाइशसे जायदादमें हिस्सा पाते हैं । जो सन्तान मालिक जायदादको पिन्डदान नहीं कर सकती, वह इस हिस्सेदारी (कोपासनरी दफा ३६६से४०० ) में शामिल नहीं हो सकती, जैसे परपोतेका लड़का मालिक जायदादको पिन्डदान नहीं कर सकता। इसलिये जब तक मालिक जीता है, तब तक वह इस हिस्सेदारीमें शामिल नहीं हो सकता । मगर जैसे जैसे ऊपरका पूर्वज मरता जायगा, उसी तरहपर नीचेके दरजेकी पुरुष सन्तान 'कोपार्सनरी' की हिस्सेदारीमें शामिल होती जायगी। __ स्मृतियों में यह माना गया है, कि लड़के, पोते और परपोतेका दिया हुआ पिण्ड मृत पुरुषको पहुंचता है। लड़का अपने बापको, पोता अपने दादा को, परपोता अपने परदादाको पिण्ड देता है। इसके आगे पिन्डकी क्रिया नहीं चलती । इसलिये लड़का श्रादि तीन सन्तान, और जिसे पिन्ड दिया जाता है उसे मिलाकर, चार पीढ़ी होती हैं। इन्ही चारोंके बीच में जो शारत्रानुसार सम्बन्ध है, वही क़ानूनमें 'कोपार्सनरी' नामसे कहा जाता है। सपिण्डी करणके विधानमें स्मृतियों में माना गया है, कि मृतपुरुष और उसके तीन पूर्वज इन चारों को मिलाकर एक 'पूर्ण पिण्डसपिण्ड' बनता है। मतलब यह 55
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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