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________________ ४०० नाबालिगी और वलायत [ पांचवां प्रकरण (सी) यह कि कोई पट्टा ज़र पेशगी लेकर नहीं किया जावेगा और केवल उतनेही वर्षोंके लिये व उसी किराया तथा नियमोंके अनुसार किया जावेगा जिसे अदालत निर्धारित करे । (डी) और अदालतकी इच्छाके अनुसार इस प्रकारके कार्यसे प्राप्त हुआ कुल या जुज़ रुपया अदालतमें जमाकर दिया जावेगा जिससे अदालत उसे उचित रूपमें बय कर सके या और जिस प्रकार से चाहे काममें लगा सके । ( ४ ) अदालतको अधिकार है कि वह दफा २६ में दिये हुए कार्योंके करनेकी आज्ञा वलीको देनेसे पहिले नाबालिके किसी सम्बन्धी या मित्रको भी जिसे वह मुनासिब समझे वलीकी दीहुई दरख्वास्तकी इत्तला देदेवे और ऐसी दशामें यदि कोई व्यक्ति दरख्वास्तके खिलाफ कुछ कहा चाहे तो उसे सुनकर हुक्म लिखेगी । - दफा ३२ अदालत द्वारा नियुक्त या घोषित किये हुए जायदाद के वलोके अधिकारोंमें परिवर्तन जबकि वली अदालत द्वारा नियुक्त या घोषित किया गया हो और वह वली कलक्टर न हो तो अदालतको अधिकार है कि वह समय समय पर अपनी आज्ञायों द्वारा नाबालिग़की जायदादका प्रबन्ध करनेके हेतु वलीके अधिकारों को उस हद तक निर्धारित करता रहे या कम करता रहे या बढ़ाता रहे जिस हद तक कि नाबालिग़की भलाई के लिये उचित हो व वह उस क़ानून के विपरीत न पड़े जो नाबालिग़के लिये लागू है: - दफा ३३ अदालत द्वारा नियुक्त या घोषित किये हुये वली के लिये इन्तजाम में अदालतकी राय लेने के अधिकार (१) अदालत द्वारा नियुक्त या घोषित किया हुआ वली यदि चाहे तो अदालतको दरख्वास्त देकर नाबालिग्रकी जायदाद के प्रबन्धके लिये किसी उपस्थित प्रश्नपर अदालतकी राय, सलाह या आज्ञा लेसकता है । (२) यदि अदालत किसी प्रश्नको संक्षेपमें समाप्त किया चाहे तो वह दरख्वास्त से सम्बन्ध रखने वाले उन व्यक्तियोंके पास जिसे वह उचित समझे दरख्वास्तकी नक़ल भेजवा देगी और दरख्वास्तकी सुनवाई भी अगर चाहे तो ऐसे लोगों के सामने करेंगी । ( ३ ) वह वली जो नेक नियतीके साथ दरख्वास्तमें सब बातें दिखला देगा और अदालतकी राय सलाह व हुक्मके अनुसार काम करेगा तो उसके
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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