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________________ वै६२ नाबालिगी और वलायत [पांच प्रकरण (७) अगर जायदाद, मुश्तरका हिस्सेदारों के और घर के अन्य आदमियों के खाने पीने के लिये बेची गई हो तो उसके पाबन्द नाबालिरा और बालिग दोनों मेम्बर हैं, देखो-मुकुन्दी बनाम सर्वसुख 6 All. 417; 421. (८) अगर जायदाद, हिस्सेदारों की शादी के खर्च के लिये बेंची गई हो तो उसके पाबन्द नावालिरा और बालिग दोनों मेम्बर हैं, देखो-सुन्दर बाई बनाम शिवनरायण 32 Bom 81. भागीरथी बनाम जुक्कू 32 All.575. गोपाल कृष्ण बनाम वेंकटरास ( 1914) 37 Mad. 273. नोट-और देखो ! इन्डियन कांट्रेक्ट ऐक्ट ९ सं० १८७२ को दफा ६८ तथा दफा ३७३. दफा ३४९ मध्यभारत, राजपूताना, संयुक्तप्रांतका कायदा बम्बई और मदरास को छोड़ कर, तथा उस हिस्से हिन्दुस्थान को छोड़कर जहां कस्टमरी लॉ माना जाताहै। मध्यभारत, राजपूताना, संयुक्तप्रांत आदि हिस्सों में जो मिताक्षरास्कूल के ताबे हैं कोई आदमी मुश्तरका खामदान का, शामिल शरीक जायदाद का अपना हिस्सा अलहदा नहीं बेच सकता जब तक कि दूसरे हिस्सेदारों की मंजूरी न हो। इसी लिये यह माना गया है कि मध्यभारत, राजपूताना, संयुक्तप्रांत जहां पर मिताक्षरा स्कूल माना जाता है अगर वहां पर कोई आदमी जो अविभक्त परिवार का हिस्से दार हो, अपना हिस्सा बिला मंजूरी दूसरे हिस्सेदारों के किसी को बेच दे या रेहन करदे तो दूसरे हिस्सेदार उस बैनामा या रेहननामा को रद्द करा सकते हैं । ऐसी सूरत में कुल दस्तावेज़ मंसूख हो जायगी मानों उस दस्तावेज़ की कोई बातही नहीं पैदा हुई थी। मगर शर्त यह है कि अगर उस दस्तावेज़को बाप, या दादा ने लिखी हो तो सब पर पाबन्दी होगी किन्तु बाप या दादा ने उस करजे के बारे में न लिखी हो जो क़रज़ा गैर कानूनी है। उदाहरण-जय, विजय, अजय तीन भाई हैं कानपुर में रहते हैं, और मिताक्षरा स्कूल के पाबन्द हैं। तीनों मुश्तरका खानदान की जायदाद के हिस्सेदार हैं । जयने बिला मंजूरी बिजय और अजय के कुछ जायदाद बेचदी जो गैर कानूनी ज़रूरत के लिये बेची गई विजय अथवा जय चाहे शामिल होकर या उनमें से एक ही बैनामा मंसूख करा सकता है अगर मियाद के के अन्दर नालिश की गई हो। ऐसी सूरत में खरीदार जय को भी नहीं पाबन्द कर सकता। दफा ३५० बंबई और मदरास का कायदा बम्बई और मदरास में भी मिताक्षरा लागू किया गया है, मगर हाईजैसलों के आधार पर कुछ फरक पड़ गया है। देखिये बम्बई और
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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