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________________ ३५० उदाहरण- १ नाबालिग्री और वलायत [ पांचवां प्रकरण शिवसिंह = पार्वतीबाई ( विधवा ) २ रामसिंह जीतसिंह ( १ ) ऐसा मानो कि शिवसिंह एक पुरुष है जो मिताक्षराका पाबन्द है उसने अपने मरनेपर एक विधवा पार्वती जो जीतसिंहकी माता है, और दो लड़के रामसिंह, तथा जीतसिंह छोड़े । रामसिंहकी माता नहीं है तथा वह बालिग है और जीतसिंह अज्ञान है । अगर दोनों लड़के शामिल शरीक रहेंगे तो, रामसिंह आफ़िसर खानदान बनकर सब शिरकतकी जायदादका इन्तज़ाम करेगा, और वही जीतसिंहका वली होगा । विधवा पार्वतीबाई जो जीतसिंहकी माता है, उसे यह अधिकार नहीं होगा कि अपने लड़के के मुश्तरका जायदादके हिस्सेमें कोई दूसरा वली नियत करदे। मगर वह जीतसिंहके शरीरकी, तथा लड़केकी उस जायदादकी जो अलहदा, यदि कोई हो, वली हो सकती है । ( २ ) अगर रामसिंह और जीतसिंह अपनी जायदादका बटवारा करा लेंगे तो जीतसिंहको जो हिस्सा मिलेगा उस हिस्सा की जायदादकी, मा वली होगी क्योंकि उसका हिस्सा अलहदा हो गया; इसी क़िस्मका एक फैसला देखो - गौरा बनाम गजाधर 5Cal. 219. (३) अगर रामसिंह और जीतसिंह दोनों ही नाबालिग हों तो दूसरी सूरत होती । उस दशा में अदालत, शामिल शरीक जायदादकी रक्षा के • लिए दूसरा कोई वली नियत कर सकती है । और अगर अदालत चाहे तो जीतसिंह की मां पार्वती बाई को भी वली नियत कर सकती है, 30 Bom. 159. 1 ( ४ ) दोनों की नाबालिग्रीमें जब कोई वली अदालतसे नियत किया गया हो तो दोनों लड़कोंमे से जो पहिले बालिग़ होगा; अदालत उसे वली बनाकर सब मुश्तरका जायदाद के इन्तज़ामका भार देगी और अज्ञानोंका वली उसे नियत करेगी। यानी यदि रामसिंह भी अज्ञान होता तो दूसरा वली नियत किया जाता, और अगर पहले जीतसिंह बालिग हो जाता तो उसे सब अधिकार ऊपरके मिल जाते: 32 Bom. 259. ( ५ ) अगर शिवसिंह एक अज्ञान पुत्र छोड़छर मर जाता, और अदालतसे उसकी जायदादपर कोई वली नियत किया जाता, तो जिस वक्त वह लड़का बालिग होता, वली मंसूत्र हो जाता । दफा ३३४ पत्नीका वली पति है 17 Cal. 298; की नज़ीरमें तय किया गया कि, पत्नीका वली उसका पति है । घारपुरे हिन्दू -लॉ दूसरा एडीशन् पेज १०५ में कहा गया है कि पति
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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