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________________ दफा ३२४-३२७] नाबालिगी और वलायत से कोई वली नियत भी नहीं किया गया, तो किसी रिश्तेदार को अज्ञान का वली बनने का पूरा अधिकार नहीं है। ऐसी दशा में कोर्ट की तरफ से गार्जियन ( वली) नियत किया जायगा। कोर्ट वली नियत करने के वक्त मज़दीकी रिश्तेदारी का ख्याल रखेगी और अगर अशान, राय देने के योग्य हो तो उसकी राय लेगी और सब से ज्यादा इस बात पर ध्यान देगी कि जिस से अज्ञान का सब तरह का लाभ हो । इसी तरह पर कोर्ट किसी खास मुकदमे में अज्ञान के लाभ के लिये बाप की तरफ के रिश्तेदारों को छोड़ कर माकी तरफ के रिश्तेदार को गार्जियन (वली) नियत कर देगी; देखोक्रिष्टोकिशोर बनाम कदरमयी ( 1878 ) 2 Cal. L. R. 583; भिकनू कुंवर बनाम चमेला कुंवर ( 1897 ) 2 Cal. W. N. 191. और देखो गार्जियन्स एन्ड वार्ड्स एक्टं सन् १८६० ई०. वली और नाबालिग्न तथा अदालत का अख्तियार-नाबालिरा की शरीर रक्षा और जायदाद रक्षा के लिये, हाईकोर्ट का अधिकार बहुत विस्तृत है, और हाईकोर्ट को अधिकार है कि नाबालिग के हित के लिये, जो हुक्म मनासिब समझे पास करे। मुरारी लाल बनाम सरस्वती-7 Lah. L.J. 30; 86. . C. 226; A. I. R. 1925 Lah. 358; 88 I. C.,576. दफा ३२६ बापको वली होनेका पूरा अधिकार है अज्ञान का वली होने के लिये बाप को पूरा अधिकार है क्यों कि जब तक बाप जिन्दा है कोर्ट को अज्ञान के शरीर का कोई वली नियत करने का अधिकार नहीं है। मगर जब बाप अज्ञान के शरीर की रक्षा करने में असमर्थ हो या अयोग्य हो तो अदालत दूसरा वली नियत कर देगी; देखो-गार्जियन एन्ड वाई एक्ट नं. ८ सन् १८६० ई० की दफा १७ बापके वसीयत मामा के द्वारा जब कोई पुरुष अज्ञान का वली नियत किया गया हो उसका हक माके मुताबिले से अधिक माना जाता है। _ हिन्दूलॉ का यह नियम है कि माता पिता को छोड़ कर और किसी को नाबालिग्न का वली बनने का अधिकार नहीं है। माता पिता के अतिरिक्त और किसी को वली बनने की सूरत में अदालत की इज़ाजत की ज़रूरत है। चन्दूलाल बनाम मुकुन्दी 26 Punj. L. R. 120; 87 I. C. 40; A. I. R. 1925 Lah. 503. दफा ३२७ बाप मृत्यु पत्र द्वारा वली नियत कर सकता है ___ हिन्दू क़ौम में बाप अपने अज्ञान लड़के के लाभ के लिये अपने मरने से पहिले ज़बानी अथवा मृत्यु पत्र लिख कर किसी पुरुष को वली नियत कर सकता है। और बाप को यह भी अधिकार है कि लड़के की माके जीते जी
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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