SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 406
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ दफा ३०५ - ३०६ ] कृत्रिम दत्तक मिताक्षरा - कृत्रिमः स्यात्स्वयंकृतः । कृत्रिमस्तु पुत्रः स्वयं पुत्रार्थिना धन क्षेत्र प्रदर्शनादि प्रलोभनैव पुत्रीकृतो । मातापितृ विहीनस्तत्सद्भावे तत्परतन्त्रत्वात् । बौधायन - सदृशं यं सका स्वयंकुर्यात्सकृत्रिमः २२ २५ ३२५ मनुका भावार्थ -- गुण और दोषके जानने में चतुर पुरुष जब गुण युक्त और अपनी जातिके बालक को लेकर अपना पुत्र बना लेता है उस पुत्र को कृत्रिम पुत्र कहते हैं । यही भाव कुल्लूक भट्टका है याज्ञवल्क्य कहते हैं किजिस पुत्रको किसी मनुष्य ने जिसे पुत्रकी अभिलाषा हो धन और क्षेत्र आदि के लोभ को दिखाकर स्वयं पुत्र कर लिया हो वह कृत्रिम पुत्र कहलाता है । यही मतलब मिताक्षराकार विज्ञानेश्वर का है । बौधायन कहते हैं कि - जब कोई समान जाति के बालकको अपनी इच्छासे पुत्र बना लेता है तब वह कृत्रिम पुत्र कहा जाता है । प्रायः अन्य श्राचाय्यौने भी ऐसीही व्याख्या कृत्रिम की की है। क़ानूनमें कृत्रिम पुत्र किस तरहपर माना जाता है तथा कहां माना जाता है और उसे क्या अधिकार हैं इत्यादि बातोंका उल्लेख नीचे देखो । दफा ३०७ कृत्रिम दत्तक सब जगह नहीं माना जाता - दत्तक मीमांसा में माना गया है कि अभी इस क़िस्म के दत्तकका रवाज प्रचलित है मगर आजकल सिर्फ दो क़िस्मके लड़के प्रायः सर्वत्र माने जाते हैं औरस और दत्तक । बाक़ी क़िस्मके लड़के नहीं माने जातें, बङ्गाल, संयुक्त प्रांत मध्य प्रदेश, बम्बई, और मदरास के एक बड़े भागमें कृत्रिम दत्तक नहीं माना जाता । परन्तु मिथिला और नामबुद्री ब्राह्मणों में अब भी इस दत्तक का रवाज प्रचलित है । दफा ३०८ कृत्रिम दत्तक मिथिलामें माना जाता है मिथिला और उसके आस पास के जिलों में कृत्रिम दत्तक माना जाता है और अङ्गरेज़ी क़ानून भी वहांपर इसे मानता है। हर एक आदमी और औरत कृत्रिम पुत्र ले सकता है, मदरासमें नम्बोदरी ब्राह्मणों में भी इस की रवाज स्वीकार की गई है, पआबमें कोई क़ायदा ख़ास नहीं है । दफा ३०९ कृत्रिम दत्तक और दत्तक में क्या फरक है दत्तक की सब बातें हम पहिले कह चुके हैं यहां पर उन बातों का वर्णन करते हैं जो दत्तक में नहीं होतीं और कृत्रिम दत्तकमें होती है । ( १ ) कृत्रिम दत्तक में गोद लिये जाने वाले लड़के की मंजूरी होनी चाहिये, और यह लड़का मंजूरी देने के योग्य हो ( २ ) गोद लिया जाने वाला लड़का उसी
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy