SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 400
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ दफा २६६ - २१८ ] दत्तक सम्बन्धी अन्य जरूरी बातें प्राप्त होने पर जायदादको अलाहदा करदे या अन्य किसी तरहपर नुक़सान पहुंचा हो तो जिस वक्त दत्तक लिया जायगा दत्तक पुत्रको उसी वक्तसे अधिकार प्राप्त होना शुमार किया जायगा जबसे उसका दत्तक पिता मरा था । और दत्तक पुत्र उस जायदादके वापिस पानेका तथा नुक़सान पूरा करा पानेका दावा करसकता है और वापिस लेसक्ता है जो दत्तक लेनेके पहिले वाक़ हुआ हो-देखो - बाबू अनोजी बनाम रतनोजी 21 Bom. 319. ३१६ दफा २९७ दत्तक लेनेसे विधवाका अधिकार घट जाता है दत्तक होतेही दत्तकपुत्रको गोद लेनेवाले बापकी जायदाद में पूरा अधिकार प्राप्त हो जाता है, और विधवाका अधिकार घट कर सिर्फ रोटी, कपड़ा पानेका रहजाता है मगर जब लड़का अज्ञान हो तो विधवा बहैसियत बलीके जायदादपर क़बज़ा रखती है । देखो - धरमदास पांडे बनाम मु० श्यामासुन्दरी 3 M. 1. A. 229; S. C. 6 Suth. ( P. C. ) 43; बिन्द्रावनदास बनाम जमुनाबाई 12. Bom. H. C. 229, जमुनाबाई बनाम रामचन्द्र 12 Bom. 225; निनगारेडी बनाम लक्षमावा ( 1901 ) 26 Bom 163; खेमकर बनाम उमाशंकर (1873 10 Bom. H. C. 381. अविभक्त परिवारकी जब कईएक विधवायें हों तो जिस विधवाको दत्तक लेनेका अधिकार होगा, वह बिला रज़ामंदी दूसरी विधवाओंके दत्तक ले सकती है और उस दत्तकसे सब विधवाओंके अधिकार घटकर रोटी कपड़ा पर रह जायेंगे। कोई विधवा रज़ामंदी न देने की वजेहसे दत्तक के अधिकारको रोक नहीं सकती, देखो - मंदाकिनीदासी बनाम आदिनाथ 18 Cal. 69. दत्तक लेने के पूर्व विधवा द्वारा इन्तकाल - क़ानून मियाद का आर्टिकिल ६१. हनमगोवदा शिदगोवदा बनाम हरगोबदा शिवगोवदा. 84 I. C. 374. A. I. R. 1925 Bom, 9. दफा २९८ अनेक विधवाओं में बड़ी विधवा दत्तक लेसकती है बम्बई स्कूलमें विधवा पतिकीआशा बिना भी दत्तक लेसकती है। वहां पर यह माना गया है कि जब पति किसी विधवाको दत्तक लेनेका अधिकार न दे गया हो तो सब विधवाओंमेंसे जो बड़ी विधवा होगी वह विला रज़ामंदी छोटी विधवाओंके दत्तक ले सकती है; देखो - रुकमाबाई बनाम राधाबाई 5 Bom H.C. (A. C. J.) 181, 192; 18 Cal. P. 74. मिस्टर मुल्लाने कहा है कि-बड़ी विधवा, बिला रजामंदी छोटी विधवाओंके गोद लेसकती है मगर छोटी विधवा बिला रज़ामंदी बड़ी बिधवा के गोद नहीं ले सकती, देखो - मुल्ला हिन्दूलॉ दूसरा एडीसन पेज ३७६ दफा
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy