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________________ फा २६४-२६५] दत्तक लेनेका फल क्या है २८L. दफा २६४ गोद लेने वाली मा और सौतेली माके अधिकार गोद लेने वाली मा वह कहलाली है जिसने खुद गोद लिया हो और सौतेलीमा वह कहलाती है जो दत्तक पुत्रके बापकी दूसरी विधवा हो । सौतेली माका प्रश्न विचारणीय है--जब किसी पुरुष के कई एक स्त्रियां हों और 'दत्तक' पुरुषने लियाहो तो उस पुरुषके मरके बाद बाकी सब विधवायें बराबर दरजे की माताये दत्तक पुत्रकी होती हैं यहांपर बड़ी विधवाके लिये कोई विशेष बात नहीं है। मगर जब पतिके मरजाने के बाद किसी एक विधवाने जिसे पति गोद लेनेका अधिकार दे गया हो अथवा वह विधवा ऐसा अधिकार किसी दूसरे तरीकेसे रखती हो और उसके अनुसार दत्तकपुत्र खुद गोद लिया हो, तो वह विधवा गोद लेनेवालीमा कहलायेगी और बाकी विधवायें सब सौतेलीमा कह लायेंगी। यह प्रश्न और भी जटिल हो जायगा जब कई एक विधवाओंको गोद लेने की इजाज़त हासिल हो और उसके अनुसार सबने गोद लिया हो। ऐसी श्राक्षा देनाही योग्य नहीं होगा जैसाकि ऊपर पहिलेभाग के अन्दर कहा जा चुका है। अनेक विधवाओं की मौजूदगी में एक विधवाके दत्तक लेनेसे बाकी सब विधवाओंका वह पुत्र एकसां लड़का हो जाता है। इस विषयपर महर्षि मनुने स्पष्ट कहा है सर्बासामेक पत्नीनामेकाचेत्पुत्रिणी भवेत् । सर्वास्तास्तने पुत्रेण प्राह पुत्रवतीर्मनुः-मनुअ०१८३। एक पत्नीकानां सर्वासां स्त्रीणां मध्ये यद्येका पुत्रवतीस्यात्तदा तेन पुत्रेण सर्वास्ताः पुत्रयुक्ता मनुराह । ततश्च सपत्नीपुत्रे सति स्त्रिया न दत्तकादि पुत्राः कर्तव्या इत्येतदर्थमिदम्-कुल्लूकभट्ट । जिन सब स्त्रियोंका एक पति है उन सबोंमेंसे किसी एकके पुत्र होनेसे याकी सब स्त्रियां पुत्रवती कहलाती हैं । कुल्लूकभट्टने कहा है कि यह बचन इस लिये कहा है कि सौतिके पुत्र होनेपर स्त्रीको दत्तकपुत्र नहीं करना चाहिये। ___ मनुके बचनके अनुसार मि० मेकनाटन साहेबने कहा है कि जब गोद पतिने न लिया हो और उसकी अनेक विधवाओंमेंसे किसी एकके द्वारा लिया गया हो तो गोद लेनेवाली विधवाके सिवाय बाकी सब विधवायें सौतेलीमा कहलायेंगी देखो; F. Macn. 17I; W. &. B. 1181. दफा २६५ अनेक स्त्रियोंमें गोद लेनेका आधिकार एक स्त्रीकोदेना मदरास हाईकोर्ट में एक मुकद्दमा इसी तरहका फैसला किया गया जो प्रिषीकौसिलसे बहाल रहा, पतिने दूसरे विवाहकी औरतके साथ एक दत्तक
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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