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________________ दफा २५०-२५१ ] दत्तक लेनेकी शहादत कैसीहोना चाहिये २७३ mornwr (५) दत्तक लेनेकी शहादत कैसी होना चाहिये दफा २५० गोदलेना कैसे साबित किया जाय __ अदालतमें दत्तक साबित करने के लिये कोई विशेष बात नहीं है। जिसतरह पर कि अन्य मामले साबित किये जाते हैं उसी तरह पर दत्तक भी साबित किया जाता है चाहे वह मुद्दई हो और चाहे मुद्दालेह । ऊपर दत्तक विधि में कहा गया है कि अच्छे मुहूर्त में अपने कुटुम्बियों और भाई बन्दोंको तथा ब्राह्मणों और अन्य आदमियों को बुलवाये, राजाको निमन्त्रणदे और विधिपूर्वक मङ्गलाचार करके अपने खानदानकी रस्मातके अनुसार सबके समक्षमें गोद लेवे । यह सब शहादत गोद साबित करनेके लिये ज़रूरी होती है। यहभी ऊपर बताचुके हैं कि जिस गोदमें सब बातें साबित हो जायें मगर लड़केका देना और लेना साबित न हो तो गोद नाजायज़ हो जावेगा (देखो दफा २३६ इसलिये सब बातें ध्यानमें रखकर गोदकी रसम करना चाहिये और वही अदालतमें लेखबद्ध और ज़मानी साक्षियों से साबित करना चाहिये दत्तक चन्द्रिका,दत्तक मीमांसा, धीर मित्रोदय आदि ग्रन्थोंमें कहागया है कि नृत्यगीतैश्च पाद्यैश्च स्वतिशदैश्च संयुतम् गृहमध्ये तमाधाय चरुं कृत्वा विधानतः । किसी समयपर इस किस्मकी शहादत भी दी जासकती है कि जो लोग उत्सवमें शरीक रहे हों, गाने बजाने या अन्य रसूमातके कामोंमें हाज़िर रहे हों, वह यह साबित करें कि अमुक बात हमारे सामने हुई है । शहादत में दत्तकपत्र लिखा जाता है, चाहे वह सादे काग़ज़ पर लिखा गया हो अथवा रजिस्ट्री कराया गया हो । अकसर आजकल दत्तक विधानके वक्त एक लिखत की जाती है जिसमें लड़का देने और लेनेका ज़िकर करके उपस्थित बिरादरीके दस्तखत होते हैं और लड़का देनेवाले तथा लेनेवालेके दस्तखत होते हैं। वह कागज़ दत्तक विधान साबित करने के लिये अदालतमें पेश किया जासकता है। इसी तरहपर जैसे और मामले साबित किये जाते हैं उसी तरहपर दस्तक भी साबित करना चाहिये इस पाखीर वाक्यके बारेमें नज़ीरें देखो, तारनी चरण बनाम सरोदरासुन्दरी 3 B. L. R. ( A. C. J.)1463 S. C. 11 Suth 468 हरदयाल बनाम रायक्रिस्टो 24 Suth. 107. दफा २५१ दत्तक होनेका अनुमान कब किया जायगा महर्षि अत्रिने कहा है कि35
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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