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________________ दत्तक या गोद [ चौथा प्रकरण त्वेन तुभ्यमहं सम्प्रददे । स्वस्तीति प्रति वचनम् । ततो ब्रह्मग्रंथि विमोकः २७२ ( आचार्य, गोद लेने वाले के शिर में प्रणीतापात्रसे जल लेकर मार्जन करें ) मन्त्र — ॐ सुमित्रिया नाप प्रोषधयः सन्तु ( नीचेका मन्त्र पढ़कर ईशान्य कोणमें प्रणीताको न्युब्ज (उलटा ) कर देवे ) ॐ दुभित्रियास्तस्मै सन्तु योऽस्मान्द्वेष्टि यंच वयं द्विष्मः विधि - ततस्त्र्यायुष्करणं कुर्यात् । एवंहोमशेषंसमाप्य श्राचार्यंवस्त्रालंकारादिभिर्यथाविभवंसंपूज्यधेनुदद्यात् । ब्राह्म-णेभ्यो दक्षिणांदत्व । तैराशिषो गृहीत्वास भोपविष्टान्गंधताम्बूल फलादिभिस्तोषयेत् । I श्राचार्य यज्ञवेदी की भस्मधुवासे लेकर 'त्रायुषं यमदग्ने इस मन्त्र द्वारा गोद लेने वाले के अङ्गों में त्रायुष्करण करे । यज्ञाग्नि और देवताओं का विसर्ज करे । गोद लेने वाला हवनकृत्य समाप्त होने पर अपनी श्रद्धा और शक्ति के अनुसार उदारता पूर्वक अपने आचार्य को नये वस्त्र आभूषण, दक्षिणा देकर पूजन करे पीछे एक गोदान करे । जो ब्राह्मण उस स्थान में एकत्र हों सबको यथा योग्य सत्कार करके दक्षिणा देवे तथा ब्राह्मणों से आशीर्वाद ग्रहण करे, शक्त्यानुसार ब्राह्मण भोजन करावे । दत्तक विधान में आये हुए वंशज, जाति भाई, और वन्धुवर्ग तथा इष्टमित्र सबका यथोचित सत्कार करके सबको भोजन कराये, स्वयं भी उनके साथ भोजन करे । बिरादरी और अन्य लोगों में नारियल, गरी गोला, मिश्री के लड्डू, आदि अपनी पृथा के अनुसार वितरणकरे । पुत्र जन्मोत्सवकी तरहअनेक प्रकारके योग्य उत्सव करे । नोट - गोद लेने की विधि ऊपर साधारण रीतिते बताई गयी है अधिक देखना हो तो देखो, शौनक स्मृति, दत्तक मीमांसा दत्तक चन्द्रिका, संस्कार प्रकाश और चतुर्वर्ग चिन्तामणि । दत्तक विधिक पश्चात दत्तक पुत्र जात कर्म से लेकर संस्कार विधिवत् करना चाहिए तथा नान्दी मुख श्राद्ध करना चाहिये | अर्थ'त जो संस्सार औरस पुत्रके लिये धर्म शास्त्रानुसार आवश्यक बताये गये है वे संस्कार दत्तक पुत्र के लिये भी होना आवश्यक हैं। आजकल गोद लेने के उपलक्ष्य में सेठ साहूकार हजारों रुपया खर्च कर देते हैं किन्तु अपने पवित्र पूर्वजों की आर्ष विधि करनेसे हाथ मुंह सिकोड़ते हैं | हम आग्रह करते हैं कि द्विजोंकों और विशेषकर क्षत्रिय तथा वैश्यों को इस और अवश्य ध्यान देना चाहिये । ब्राह्मणों में प्रायः विधिके अनुकूल दत्तक लिया जाता है ।
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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