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________________ हिन्दूलों .. विषय पेज س س س س له سم سم سم दफा ३६६ जातके वलीका कर्तव्य ... ३७५ ३७० जायदादके वलीका कर्तव्य ३७५ ३७१ वली किन बातोंसे खारिज किया जायगा ३७२ अशानकी जायदाद क्रजोंकी कब जिम्मेदार होगी ३७६ ३७३ कानूनी ज़रूरतें यह भी हैं । ३७७ ३७४ नाबालिग बैनामा या रेहननामाकी मंसूखीका दावा कब कर सकता है ... ३७५. जब किसी दूसरे आदभीने अज्ञानकी जायदाद उसके अधिकारसे हटादी हो ३७६ अशानकी कानूनी अयोग्यता ३७७ अर्जी देना कहां तक लागू होगा ... ३७८ जिस कामकी मियाद तीन सालसे कम हो ३७६ प्रतिवादीके अज्ञान होनेसे दावा बन्द नहीं हो सकता। ३८० यह दफा कहांपर लागू नहीं होगी ... ३८१ अज्ञानको दो तरहकी मियाद ३८२ अगर अज्ञान मुद्दई (वादी ) दौरान मुकदमेमें मर जाय ... ३८३ ३८३ अगर अशान मुहाअलेह (प्रतिवादी) दौरान मुकदमे में मर जाय ३८१ गार्जियन एण्ड वार्डस् एक्ट नं० ९ सन् १८९० ई. प्रथम प्रकरण --.नाम विस्तार तथा आरम्भ --२ रद व बदल ३८५ -३ कोर्ट भाफ वार्ड तथा हाईकोर्ट के अधिकारोंका संरक्षण ३८५ --४ परिभाषाएं ---४ (ए) मातहत अदालतोंको अधिकार प्रदान करने तथा अके पास कारवाइयोंके भेजनेका वर्णन ३८७ दूसरा प्रकरण --५ योरोपियन ब्रिटिश रिमायामें माता पिताके आधिकार -६ दूसरे लोगोंके मामलामें अधिकारोंका संरक्षण ३८८ --७ वलीकी नियुक्ति करने के लिये अदालतके अधिकार ३८८ --बह लोग जिनको दरख्वास्त देनेका अधिकार है ३८९
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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