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________________ दफा १८२-१८४] साधारण नियम दिया जैसाकि दत्तकमीमांसा और कालिकापुराण आदि ग्रन्थोंसे ज़ाहिर होता था, अदालतने दत्तकमीमांसा के बचनोंका (दफा १८०). यह अथे लगाया कि जब युजारी बनानेके लिये दत्तक लिया गया हो तो पांचवर्षकी शर्त लगाई जासकती है। दत्तकमीमांसाका असर इस स्कूल में दत्तक चन्द्रिकासे पीछे है इसलिये जिनकौमोंमें उपनयन संस्कार होता है (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य ) उनमें जनेऊसे पहले और शूद्रोंमें विवाहसे पहले गोदलेना जायज़ है देखो रूपचन्द बनाम जम्बूप्रसाद ( 1910 ) 37 I. A. 93; 32 All. 2473 14 C. W. N. 5 45%; 12 Bom. L. R. 402; स्टेज हिन्दूलॉ P. 91 बङ्गाल स्कूल और बनारसस्कूलकी एक ही राय है। __ अग्रवालोंमें दत्तक लेने योग्य आयु ३२ वर्ष तक है-जोहरमल बनाम सोनीबाई 52 Cal. 482; 52 I. A. 231; ( 1925 ) M. W. N. 692; 87 I. C. 357; 27 Bom. L. R. 837; L. R. P. C. 97; 23 A. L.J. 273; 2 0. W.N. 335; 21 N. L R. 50; A:. I. R. 1925 P.C. 1185 49 M. L.J. 173 ( P.C.). दफा १८४ बम्बई स्कूल और गुजरातमें उमरकी कैद . दक्षिणी और गुजरात के पंडितोंने सदर अदालतको रिपोर्ट किया कि जहांपर यह कायदा मानाजाता है कि पांचवर्षसे अधिकका लड़का गोद नलिया जाय, यह बात उस समय मानी जाती है कि जब गोद लेने वाले और उस लड़केके बीचमें कोई रिश्तेदारी न हो लेकिन जब किसी रिश्तेदारका लड़का गोद लिया जाय तो पांच वर्षकी उमर ज़रूरी नहीं है बक्लि अगर लड़केकी शादी भी हो गई हो और औलाद पैदा हो गई हो तो भी गोद लिया जासकता है यदि उसमें अन्य सब बातें जो दत्तकपुत्रके लिये आवश्यक हैं मौजूद हों और उसे दत्तक लेनेवाला चाहता हो देखो-ब्रजभूषण बनाम गोकुला साघोजी 1 Bor 195 (217) पूनाके दक्षिणी शास्त्रियोंका मत है कि पांच वर्षसे ५० वर्षका लड़काभी गोदलिया जासकता है वे उमरकी कोई हद नहीं मानते, आजकल श्रादमी ५० बर्षमें बूढ़ा हो जाता है यानी मरनेके समयतक गोद लिया जासकता है चाहे उसके पुत्र, पौत्र,और प्रपौत्र मौजूद हों। वे यह शर्त लागू करते हैं कि गोद लेनेवालेसे, गोद लियाजानेवाला लड़का उमरमें ज्यादा न हो देखो-गोपालबालकृष्ण बनाम विष्णु रघुनाथ 23 Bom. 250-256. मि० मेन कहते हैं कि बम्बई हाईकोर्टने जिन मुक़द्दमोंमें विवाहा हुश्रा लड़का गोदके योग्य माना है उनमें पक्षकार शूद्र थे देखो राजो निम्बालकर बनाम जयवन्तराव 4 Bom. H. C. (A.C. J.) 191; 3 Bom. H. C. ( A. C. J. ) 67 मगर नीचेके मुक़दमोंमें द्विजोंके अन्तर्गत व्याहे हुये लड़कों की दत्तक जायज़ मानी गई और यह भी माना गया कि भिन्न गोत्रका भी
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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