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________________ दत्तक या गोद [ चौथा प्रकरण उपनयन संस्कारके पूर्व द्विजातियोंमें और विवाह संस्कारके पूर्व शूद्रों में गोद लेना चाहिये उमरकी कोई क़ैद नहीं है । इसी मतका पालन प्रायः सभी हाईकोटने किया है सिर्फ बम्बई में ब्याहा हुआ पुत्र गोद लिया जासकता है । २३० योग्यताकी उमर - धनराज जौटरमल बनाम सोनीबाई 30 C. W, N. 601 ( P. C. ). हिन्दूलॉ गोद लिये जाने वाले पुत्र के सम्बन्धमें उमर की कोई पाबन्दी नहीं करता । यदि लड़का द्विजाति का है तो उसका यज्ञोपवीत संस्कार के पूर्व, और यदि शूद्र का है तो विवाह संस्कार के पूर्व गोद लिया जाना सर्वथा जायज़ है । इस प्रकारकी कोई शर्त नहीं है कि गोद लिया जानेवाला लड़का ५ वर्ष से बड़ा न होना चाहिये । अतएव इस बिनापर कि कोई गोद उस समय लिया गया है जब कि गोद लियेजाने वाले लड़केकी उमर ५ वर्षसे बड़ी थी, वह दत्तक नाजायज नहीं होता चन्द्रेश्वर प्रसाद नारायणसिंह बनाम विश्वश्वर प्रताप नारायणसिंह A. I. B. 1927 Pat. 61. दफा १८२ बंगाल स्कूलमें उमरकी क़ैद बङ्गालमै पहिले एक मुक़द्दमे में पंडितोंकी रायसे यह माना गया कि ५ वर्ष की उमरकी क़ैद परमावश्यक नहीं है मगर मुंडन संस्कार यदि असली बापके घरहो चुकाहो तो दत्तक जायज़ नहीं होगा देखो; कीर्तिनारायण बनाम भुवनेश्वरी I. S. D. 161 (213 ) इसके बाद सन् १८३८ ई० में उमरके बारेमें पुनः प्रश्न उठा उसमें यह माना गया कि ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्योंमें उमरकी हद उपनयन संस्कार तक और शूद्रोंमें विवाह संस्कार तक है अर्थात् द्विजोंमें यज्ञोपवीत और शूद्रोंमें विवाह के पूर्व गोद लिया जासकता है देखो; बल्लभकांत नाम किशुनप्रिया 6S. D. 219 (270 ) जो राय इस मुक़दमे में मानी गई थी वही बहुतसे मुक़द्दमोंमें वहाल रखी गई, बक्लि अब यही निश्चित समझा जाता है देखो - नित्रादाई बनाम भोलानाथ S. D. of 1853; रामकिशोर बनाम भुवन S. D. of 1859, P. 229, 236; S. D. of 1860; 485, 490; 10 M. I A. 279; S. C. 3. Suth (P. C.) 15. दफा १८३ बनारसस्कूल में उमरकी क़ैद बनारसस्कूल के अनुसार इलाहाबाद हाईकोर्ट में फैसलेहो चुके हैं पहला फैसला सन् १८६८ ई० में हुआ जिसमें तय हुआ कि दत्तक मीमांसाके अनुसार ६ सालतक दत्तक जायज़ थी देखो; ठाकुर उमरावसिंह बनाम महताब कुंवर N. W. P. H. C. Rep. 1868 – 103 A; 9 All 312. इसकेपश्चात् फिर नीचे के मुक़द्दमेमें यही प्रश्न उठा कि जो दत्तक पांच वर्षकी उमर अधिक लिया गया हो महज़ उमरकी बुनियादपर खारिज कर दियाजाय इलाहाबाद हाईकोर्टने उन प्रमाणका वैसा अर्थ मानने से इन्कार कर
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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