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________________ दफा १४१-१४३ ] बिना आशा पतिके विधवाका दत्तक लेना १८३ गोद नहीं ले सकती । यदि यह लड़का मर जाय या न मिल सके, तो उसका गोद लेनेका अधिकार समाप्त हो जाता है । यदि पतिने साधारण अधिकार दिया हो कि 'एक लड़का गोद लेना” तो विधवा सगोत्र सपिण्ड मेंसे नज़दीकी लड़केको जहांतक होगा गोद लेगी। मगर एक हालके मुक़द्दमे में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला किया, जिसमें एक हिन्दू पतिने विधवा को एक खास घराने का लड़का गोद लेने की आज्ञा दी थी; उस समय उस घराने में चार लड़के थे, लेकिन विधवाने पतिके मरने के बाद जो लड़का उस घराने में चारोंके अलावा पैदा हुआ उसे गोद लिया । इस मुक़द्दमे का फैसला प्रिवी कौंसिलने यह किया कि वह छोटा लड़का अपने भाइयों की अपेक्षा उमरके ख्यालसे गोद लेने के लिये अधिक योग्य था; उसे गोद लेकर विधवाने पतिकी आशाका अच्छा उपयोग किया, देखो - मुतसद्दीलाल बनाम कुन्दनलाल 33 I. A. 55; 28 All. 377. (घ) बिना चाज्ञा पतिके विधवाका दत्तक लेना दफा १४३ बिना आज्ञा पतिके विधवा का दशक ( १ ) मदरास और बम्बई प्रांतमें यह बात मानी गई है कि बिना श्राज्ञा पतिके विधवा दत्तक लेसकती है, मगर बङ्गाल और इलाहाबाद हाईकोर्ट मैं नहीं मानी गई देखो -- दफा ११८, जो दत्तक बिना आज्ञा पतिके सपिण्डों की मंजूरी के अनुसार होता है उसका क्या असर होगा ? शास्त्री जी० सरकारकी राय है कि हिन्दुस्थान के दक्षिण, और पश्चिम, तथा कुछ उत्तरमें इस विषय में सपिण्डोंकी रजामन्दी काफी समझी गई है। कितने सपिण्डों की रजामन्दी ज़रूरी होगी इस विषय में मद्ररास हाईकोर्ट में एक मशहूर मुक़द्दमे का फैसला हुआ है- जब कोई व्यक्ति एक पुत्र और विधवा छोड़कर मर जाय और पुत्र भी उस के बाद एक लड़की और अपनी विधवा को छोड़ कर मर जाय; तथा इसके पश्चात् उस पुत्र की विधवा और लड़की भी मर जाय, तो प्रथम विधवा थामी लड़के की विधवा मां अपने पति के लिये गोद ले सकती है । महाराजा कोल्हापुर बनाम एस० सुदरम् अय्यर 48 Mad. 1, A. I. R. 1925 Mad. 497. बम्बई में विधवाका गोद-जज स्पेंसर की राय है कि सन् १६७४ के लगभग, यह मौजूदा क़ानून कि विधवा बिना अपने पति की स्वीकृति के गोद
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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