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________________ श. . दत्तक या गोंद चिौथा प्रकरण जैन विधवा और दत्तकके मध्य इकरारनामा-आया दत्तकपर पाबन्दी है। मित्रसेन बनाम दाताराम 24 A. L. J. 185; A. I. R. 1926 Aii. 7. दफा १४१ कुटुम्बका लड़का गोद लेना चाहिये जब किसी विधवा ने गोद लेनेका सामान्य अधिकार पतिसे पाया हो कि "हमारे लिये लड़का गोद लेना" तो ऐसा लड़का गोद लिया जाना चाहिये जिसका शरीक होना खानदान में जायज़ हो । जहां तक हो सके नज़दीकी सपिण्ड का लड़का गोद लेना चाहिये जो एक ही गोत्रका हो, यानी सगोत्र सपिण्डका नज़दीकी लड़का । दत्तक मीमांसा और दत्तक चन्द्रिकामें भी यही माना गया है। तथा देखो-फैसला सदर अदालत मदरास 1 Vol. 105 और देखो दफा १७३, १७६. दफा १४२ पैदा होने वाले पुत्रके लिये गोद की आज्ञा (१) अय्यापिल्ले का केस--बीरपरमल बनाम नारायण पिलैय्यर 1 Str. N, C. 91 के मुकदमें इस किस्मके वाकियात थे--पतिने अपनी स्त्री को यह लिख दिया था कि "अगर अय्यापिल्लेके वर्तमान पुत्र के सिवाय एक और पुत्र हो तो उसको तुम मेरे बंशमें ले लेना" ऐसा लिखने वालेके मरने के बाद अय्यापिल्लेका कोई दूसरा पुत्र नहीं हुआ। तब विधवा ने काफ़ी इन्तज़ार करनेके बाद दूसरा पुत्र दत्तक लिया । अदालत में वारिस की तरफ से दावा 'करने पर जजों ने कहा कि ऐसी सूरत में विधवा अनन्त काल तक प्रतीक्षा करने के लिये बाध्य नहीं है और उसका किसी दूसरे लड़के को गोद लेना नाजायज़ नहीं है । उस लिखित का यह अर्थ माना गया कि लिखने वाले की प्रधान इच्छा यह थी कि उसके लिये कोई लड़का गोद लिया जाय; दूसरी इच्छा यह थी कि वह लड़का उस व्यक्ति का हो जिसका नाम उस लिखितमें बताया गया है। इस मुकद्दमेके बाद बम्बईका दूसरा मुकद्दमा इसी तरहका है जिसमें अदालत ने कहा कि दत्तकका अधिकार देने वाले पतिके लिये यह आम बात है कि वह उस लड़केका नाम भी बता दे कि जिसे वह गोद लेना चाहता है। किन्तु यदि पीछे वह लड़का मर जाय, या उसके मां बाप देनेसे इन्कार करें तो कमसे कम बम्बई प्रांतमें उसी अधिकार से दूसरा लड़का दत्तक लिया जा सकता है, यदि पति यह न लिख गया हो या कह गया हो कि अमुक लड़का ही गोद लिया जाय और दूसरा नहीं। बम्बई प्रांतमें यह समझा जाता है कि पतिकी इच्छा गोद लेने की थी। किसी लड़केका नाम लिख देना केवल अपनी पसन्द प्रकट करना है-26 Mad. 681; 22 Bom 996. (२) इलाहाबाद का फैसला-बनारस और बंगाल में यह बात नहीं मानी जायगी। वहांपर पतिके बताये हुए लड़केके सिवाय विधवा दूसरा लड़का
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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