SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 267
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ दत्तक या गोद [चौथा प्रकरण विधवा द्वारा गोद-जब किसी व्यक्तिने, किसी लड़केके कुदरती पितासे भविष्य में उसे गोद लेनेके लिये लिया और उसका पालन पोषण अपने घरमें किया। लड़केका भविष्य में गोद के लिये लेना और देना तो हो गया किन्तु दत्तक का रस्म बाद को विधवा द्वारा किया गया। दत्तक, गोद लेने के मान्य अधिकारोंके अनुसार जायज़ है। महाराजा कोल्हापुर बनाम यस० सुन्दरम् अय्यर 48 Mud. 1; A. I, R. 1925 Mad. 497. . अधिकार की सीमायें-विधवा पुत्र का अपनी विधवा छोड़कर मरना गनपत बनाम लालू A. I. R. 1926 Nag. 15. दफा १३९ विधवा मजबूर नहीं है . विधवाको जो अधिकार पतिसे मिले हैं उनके पूरा करनेकी मजबूरी विधवापर नहीं है। विधवा अपनी इच्छानुसार उस दत्तकके अधिकारको काममें ला सकती है और कोई दबाव उसपर इस बारेमें नहीं डाला जासकता मगर जो काम वह करे पतिकी हिदायत और कानूनके खिलाफ़ न होना चाहिये । अगर विधवाकी इच्छा न हो और वह धमकाई गई हो या कोई दबाव डाला गया हो कि वह गोद ले, तो ऐसा गोद नाजायज़ होगा; देखो-- रंगनापा कामा बनाम अलवरसेटी 13 Mad. 214-220 देखो दफा १२० यह माना गया है कि विधवा जबतक पतिसे मिले हुये अधिकारको काममें नहीं लाती तबतक वह उस हैसियतसे वारिस है जो उसको अधिकार न मिलने की सूरतमें होता। . गोद लेना जब दूसरेकी सलाहसे कहा गया हो-अगर पति घसीयतनामेके द्वारा या और किसी तरहसे यह आशा दे गया हो कि उसकी विधवा लड़का गोद ले मगर वह अमुककी सलाहसे लिया जाय जिसको पतिने एजेन्ट के तौरपर नियत किया हो। ऐसी दशामें अगर विधवा बिना सलाह उसके गोद लेले तो जायज़ माना जायगा । क्योंकि यह माना गया है कि गोद लेनेका अधिकार सिर्फ स्त्रीको दिया जासकता है और इस तरहपर उस अधिकार के दो टुकड़ेहो जाते हैं और ऐसा अधिकार विधवाके अधिकारपर असर नहीं डालता-सुरेन्द्रनन्दन बनाम शैलजाकांत 18 Cal. 336. इसी किस्मका एक फैसला हुआ कि वसीयत करनेवालेका मन्शा दूसरे आदमीके शरीक करनेसेयह था कि वह आदमी अच्छी तरहपर जांच करके बुद्धिमानीके साथ कामकी सहूलियतमें मदद देगा। मगर इस मतलब के लिये नहीं कि गोदकी किसी ज़रूरी शर्तका यह कहना कोई हिस्सा है, 24 I. L. R. Cal. 589.
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy