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________________ दत्तक या गोद [चौथा प्रकरण तो यह इस बातकी पाबन्द नहीं है । बिमा उसकी सलाहके भी गोद लेसकती है। देखो-सुरेन्द्र बनाम सेलाजी 18 Cal. 385 लेकिन जब ऐसी आज्ञा होकि बिना अमुक की सलाह गोद लेनेका अधिकार नहीं है तो विधवा बिना उसकी सलाहके गोद नहीं ले सकती और अगर ले तो नाजायज़ होगा--रंगू बाई बनाम भागीरथी बाई 2 Bom. 377; 27 Cal. 996-1002, 27 I. A. 128-134. उदाहरण--महेशने :वसीयतनामे के द्वारा अपनी विधवा और अपने बाचा उमाशङ्करको यह अधिकार दिया कि, मेरे लिये एक लड़का गोद लेना। अधिकार मिलने के बाद विधवा और उमाशङ्कर ने गोद लिया । माना गया कि गोद नाजायज़ है, और अगर अकेले विधवा गोद लेती तो भी नाजायज़ होता, क्योंकि गोद लेनेका अधिकार दूसरे आदमी के साथ विधवा को दिया गया था, न कि अकेली विधवाको। दत्तककी आज्ञाका अनुमान--किसी जवान श्रादमी की मृत्यु पर, जिस की नयी शादी हुई हो उसकी पत्नी को दत्तक लेने की स्वीकृति देनेके सम्बन्ध में यह देखना आवश्यक है कि वह मृत्युके पूर्व कितने दिन तक बीमार रहा जब कि यह दावा था कि एक ३० वर्षका जवान मनुष्य, जिसका व्याह केवल तीन वर्ष पहिले हुआ था, जिसने कि अपनी मृत्यु के तीन दिन पहिले अपनी दूसरी स्त्रीको दत्तक लेने का अधिकार दिया थाः-- तय हुआ कि जबतक कि उस मनुष्यपर किसी विषम रोगका आक्रमण नहुभा हो, यह सम्भव नहीं हो सकता कि उसको दत्तक लेने की आवश्यकता प्रतीत हुई हो, इस लिये यह प्रश्न कि वह अपनी मृत्युके पहिले कितने दिन बीमार रहा था एक महत्व पूर्ण प्रश्न है, जिसके द्वारा यह निश्चित किया जा सकता है कि आया उसने दत्तक लेने की स्वीकृति दी होगी या नहीं यह भी तय हुआ कि विरुद्ध पक्ष इस बातको नहीं साबित कर सका, कि उन दिनों में जब कि यह बीमार बताया गया है, वह अपना काम करता था अतएव हाईकोर्ट के इस फैसले में कि दत्तक 'स्वीकृति' था बाधा डालने की आवश्यकता नहीं प्रतीत होती; रामदीनसिंह बनाम मु० चन्द्राम कुंवर 22 L. W.91; 89 I. C. 565; A. I. R. 1925 P. C. 54 ( P.C.) दफा १३३ कई विधवाओं को गोद लेने का अधिकार देना जब दो या दो से ज्यादा विधवाओं में से किसी एक को गोद लेनेका अधिकार दिया गया हो तो वह विधवा बिना दूसरी विधवाओं की मञ्जुरी के गोद ले सकती है। यह निश्चित नहीं है कि जब अनेक विधवाओं को
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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