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________________ विवाह [ दूसरा प्रकरण हुआ है, उनका वही असर होगा, यदि वे पढ़े जांयगे या अदा की जांयगी, किसी हिन्दू विधवा के पुनर्विवाह में और कोई शादी इस वजह से नाजायज़ न ठहराई जायगी, कि वे मंत्र, रस्म या रिवाज विधवा की सूरत में प्रयोगनीय नहीं है । १२८ दफा ७ नावालिन के पुनर्विवाह के लिये स्वीकृति यदि कोई पुनर्विवाह करने वाली विधवा नाबालिग हो और उसका गौना न गया हो, तो वह अपने पिता की स्वीकृति विना पुनर्विवाह नहीं कर सकती, या यदि उसका पिता जीवित न हो तो अपने पितामह की, यदि पिता . मह न हो; तो माता की, यदि इन में कोई न हो, तो बड़े भाई की या भाई न तो अपने अन्य पुरुष सम्बन्धीकी स्वीकृति विना पुनर्विवाह नहीं कर सकती । इस दफा के ख़िलाफ शादी में सहायता देने की सज़ा 3 वे व्यक्ति, जो जान बूझकर किसी ऐसी शादी में जो इस दफाके आदेशों के खिलाफ की गई हो, सहायता करेंगे, क़ैद के योग्य होंगे, जो किसी मुद्दत की जो एक साल से अधिक न होगी, होगी या जुर्माना होगा, या दोनों होंगे। इस प्रकार की शादी का प्रभाव और वे समस्त शादियां, जो इस दफ़ा के आदेशों के विरूद्ध की जांयगी क़ानूनी अदालत द्वारा नाजायज़ क़रार दी जा सकेंगी बशर्ते कि किसी प्रश्न में जो उस शादी के, जो इस दफा के आदेशों के विरुद्ध की गई हो, जायज़ होने के सम्बन्ध में किया जाय, इस प्रकार की रजामन्दी की, जिसका ऊपर वर्णन किया गया है, कल्पना की जाय, जब तक कि कोई विपरीत सुबूत न मौजूद हो, और यह कि इस प्रकार की शादी उस वक्त नाजायज़ न क़रार दी जायगी, जब कि गौना हो गया हो । नावालिरा विधवा की पुनर्विवाह की रजामन्दी उस विधवा के सम्बन्ध में, जो पूरी उमर की हो और जिसका गौना हो गया हो, उसकी रजामन्दी ही उसके पुनर्विवाह को जायज़ बनाने के लिये काफ़ी होगी ।
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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