SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 206
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Tho HINDU WIDOWS REMARRIAGE. Aot xv of 1858. D . " हिन्दू विधवाओंके पुनर्विवाहका -- कानून नं० १५ सन १८५६ ई० ... ( २५ जौलाई सन१८५६ई० को पास हुआ) हिन्दू विधवाओं की शादी के विरुद्ध समस्त कानूनी बाधाओं को दूर करने वाला कानून चूकि यह विदित है कि उस कानून के द्वारा जिसका प्रचार उन दीवानी अदालतों में किया गया था जिनकी स्थापना उन प्रदेशों में, जो ईस्टइंडिया कम्पनी के अधिकार और शासन में थे की गई थी यह तय किया गया है कि कुछ अपवादों के अतिरिक्त, हिन्दू विधवायें, एक बार विवाहिता हो जाने के कारण, दूसरी जायज़ शादी करने के अयोग्य हैं और इस प्रकार की विधवाओं की, किसी दूसरी शादी द्वारा सन्साम; नाजायज़ और जायदाद के उत्तराधिकार के नाकाबिल करार दिये गये हैं। और चूकि बहुत से हिन्दुओं की यह धारणा है कि यह निन्दनीय कानूनी अयोग्यता, यद्यपि प्रमाणित रवाज के अनुसार है, किन्तु फिर भी वह उन के धार्मिक सिद्धान्तों की सत्य मीमांसा के अनुसार नहीं है और यह चाहते हैं कि कोर्ट आव जस्टिस द्वारा काम में लाई जाने वाली सिविल लॉ उन हिन्दुओं को, जो अपने अन्तःकरण की आज्ञानुसार किसी भिन्न रवाज के ग्रहण करने का इरादा करें, अब और अधिक दिन बाधक न हो।
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy