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________________ १२४ विवाह [दूसरा प्रकरण के पूर्व, किसी समय, अदालत, ऐसे कारणोंके अतिरिक्त जो लिखे जायंगे, अमियोक्ता को सौ रुपये तकका मुचलका, मय ज़मानत या बिला ज़मानत, लिख देने की आज्ञा देगी। यह मुचलका उस मुत्राबज़े के भुगतान के लिये ज़मानतके तौर पर होगा जिसके चुकानेकी आज्ञा अमियोक्ता को दफा २५५, संग्रह जाबता फौजदारी सन १८६८ ई० (Criminal Procedure Code 1898.) के अनुसार दी जा सकती है। और यदि ऐसी ज़मानत, ऐसे पर्याप्त समय के अन्दर, जिसे कि अदालत निर्धारित कर सकती है, दाखिल न कर दी जायगी, तो इस्तगासा खारिज कर दिया जायगा। (२) इस दफाके अनुसार जो मुचलका लिया जायगा वह संग्रह जाबता फौजदारी सन १८६८ ई. के अनुसार लिया हुआ समझा जायगा। और तदनुसार उक्त संग्रह (Code) का ४२ वां प्रकरण ( Chapter ) लागू होगा। एल. ग्रेहम सेक्रेटरी भारत सरकार नोट-इस हिन्दलों के यहां तक छप जाने के समय तक, यह कानून पास नहीं हुआ किन्तु पूर्ण आशा है कि कुछ परिवर्तनों के साथ अवश्य पास होगा । उमर की कैद में घटाव हो या न हो । इस लिये इस कानून के परिशिष्ट भाग में हम पास किया हुआ कानून अविकल देंगे । यदि न पास हुआ तो समझ लेना इस बिल का कोई असर नहीं होगा । देखो परिशिष्ठ भाग।
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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