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________________ विवाह [ दूसरा प्रकरण (२) सगाईके बाद विवाह न करनेसे हर्जानेका दावा-सगाईके पश्चात् यदि विवाह किसी कारणसे न हो तो, जिसकी तरफसे वह इक़रार भङ्ग किया जाय उसपर दावा उचित सूरतोंमें हो सकता है । इसी तरहका सबसे हालका मुकद्दमा बंबई में हुआ, छोटालाल मुद्दालेह नं. १ ने अपनी लड़की 'कमला' का विवाह रनछोड़दास मुद्दईके साथ करनेका इकरार किया था, सगाई (फलदान ) हो गयी पीछे उसने जैकिशुनदास मुद्दालेह नं० २ के साथ विवाह कर दिया मुद्दईने ३०००) रु. के हरजानेका दावा इस बयानसे किया कि मुद्दालेह नं. १ ने इक़रार भंग किया और जैकिशुनदासने उस इक़रार के भंग करने में मदद दी। अदालतने दोनों मुद्दालेह पर ८००) रु. की डिकरी दी पहली अपीलमें फैसला बहाल रहा, दूसरी अपील मुद्दालेह नं. २ ने की हाईकोर्ट ने कहा किजैकिशुमदास नाबालिग है तथा वह हर्जानेका ज़िम्मेदार उस समयत नहीं माना जा सकता जबतक कि यह न साबित किया जाय कि उसने खुद इकरार भंग करा देने की कोशिशकी और अपना प्रभाव मुद्दालेह नं. १ पर डाला, शहादत स्पष्ट और सीधी होना ज़रूरी है, अपील डिकरी हुआ नीचेकी अदालतोंका फैसला मंसूख किया गया-देखो-जैकिशुनदास हरकिशुनदास बनाम रणछोड़दास भगवानदास ( 1916)19 Bom. L. R. 12. दफा ६९ विवाह सम्बन्धी दूसरे इकरार या कन्ट्राक्ट आदि विवाहमें ठहरौनी यानी दहेज देनेका क़रार सार्वजनिक सिद्धांतके इकदम विरुद्ध है इसलिये ऐसा इकरार जो किसी विवाहमें हुआ हो नाजायज़ है। मदरास हाईकोर्ट की रायमें ऐसा मानना बहुत उचित नहीं है । मगर नीच जातियों में दलहिनका बाप दलहासे कुछ धन ले सकता है। यदि लड़कीका बाप ऐसा धन लेकर लड़कीका विवाह किसी दूसरेसे कर दे तो वह धन लड़कीके बापको पहले दुलहाको लौटा देना पड़ेगा-देखो रामचन्द्रसेन वनाम श्रादित्यसेन 10 Cal. 1054; 16 Bom 613. मदरास हाईकोर्टने एक मुक़द्दमे में यह याना, जिसमें बादी और प्रतिबादी दोनों ब्राह्मण थे, बादी अपनी लड़कीका विवाह प्रतिबादीके भतीजेके साथ करेगा इस इक़रारपर प्रतिबादी वे एक दस्तावेज़ बादीके नाम लिख दी माना गया कि उस दस्तावेज़की रक़मके लिये बादी, प्रतिबादीपर दावा कर सकता है देखो-बिश्वनाथम् बनाम स्वामीनाथम् 13 Mad 83; मगर यह मदरास ही में माना जायगा और हालके, मुकदमे में मदरास हाईकोर्टने इसके विरुद्ध फैसला किये। हिन्दू सभ्य समाजमें दहेज यानी ठहरौनीके इक़रार बहुत ही नापसंद किये जाते हैं आजकल इस कुपृथाके उठानेके लिये समाजे बहुत कुछ प्रयत्न कर रही हैं इसी सबबसे इस क्रिस्मके इकरार छिपा कर किये जाते हैं ज़ाहि
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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