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________________ विवाह [दूसरा प्रकरण mmmmmmm विवाह केवल तलवार द्वारा रवाजसे शादी होनेके नामसे ही शादी होना नहीं समझा जाता । महाराजा कोल्हापुर बनाम पस० सुन्दरम् अय्यर 48 Mad. 1; A. I. P. 1925 Mad. 497. शूद्रका प्रश्न-एकमुकद्दमेमें यह प्रश्नथा कि आया तंजौरका शाहीखान्दान क्षत्रिय है या शूद ? इस बातका दावा किया गया था कि मराठे क्षत्रिय हैं या उनमेंसे उच्चू शासक वंश क्षत्रिय हैं और राजा तंजौरका वंश क्षत्रिय वंशसे है तय हुआकि ऐतिहासिक वंश परम्परा और सामाजिक रवाजाकीत शहादतों के अनुसार क्षत्रियत्वका प्रतिपादन नहीं होता। महाराजा कोल्हपुरा बनाम एस० सुदरम अय्यर 48 Mad. 15 A. I. R. 1925 Mad. 497. . अगर किली जातिने अपनी जातिवाले किसी स्त्री पुरुषका विवाह जायज़ मान लिया है और उन दोनोंको अपनी जातिमें रखा है तो अदालत को इस कहनेसे कुछ भी प्रयोजन नहीं है कि उस विवाहमें कोई दोष है इस लिये वह नाजायज़ है । नत्थूलामी बनाम मसलीमनीके मुक़द्दमे में अदालतने यह भी कहा कि जो विवाह हिन्दूलों के अनुसार जायज़ है वह किसी भी जातिके खास रस्मों के विरुद्ध होनेपर भी वह विवाह कानूनमें जायज़ माना जायगा। रखेली औरत--हिन्दू गृहस्थीमें सदाके लिये रक्खी हुई रखेल, जो घस्तुतः हिन्दू गृहस्थीके साथ एकही मकानमें रहती हो,उसकी अवस्था बहुत कुछ विवाहिता पत्नीकी भांति ही होती है हिन्दू रवाजों और शास्त्रोंमें कोई एसी निषेधकारी श्राज्ञा नहीं है जिसके द्वारा निरन्तर रखेल को बहुतसी रस्मोंमें भाग लेनेसे रोका गया है, किन्तु कोई रखेल ऐसी रस्मोंमें भाग लेने के कारण, विवाहिता स्त्री नहीं मानी जा सकती, सतीके रस्मकी पूर्ति भी हर हालतमें विवाहिता होनेका प्रमाण नहीं है, इस रस्मके पालनसे निरन्तर रखेल का भी बोध हो सकता है। महाराजा कोल्हापुर बनाम एस० सुन्दरम् अय्यर 48 M. 1; A. I. R. 1925 Mad. 497. . बहुत दिनों तक एक साथ रहने से विवाह सम्बन्ध नहीं स्थापित हो सकता, जबकि विवाहके विरुद्ध कोई प्रमाण हो--तलवारके ज़रिये शादीकी हुई.स्त्री-महाराजा कोल्हापुर बनाम एस० सुन्दरम् अय्यर 48 M. 1; A. I. R. 1625 Mad. 497. क्षत्रियोंमें तलवारकी शादीका रवांज है किन्तु वह मराठोंमें मान्य नहीं है-तजौरका शाही खान्दान -तलवारकी शादीमें स्त्रीकी हैसियत निरन्तर रखेलकी भांति होती है और उसकी सन्तान गैरकानूनी मानी जाती है। महाराजा कोल्हापुर बनाम एस० सुन्दरम् अय्यर 48 M. 1; A. I. R. 1925 Mad. 497.
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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