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________________ धार्मिक और खैराती धर्मादें [सत्रहवीं प्रकरणे दुर्भाग्य से नियम-पूर्वक पूजा करने में कोई कठिनाई उपस्थित हो जाय तो उचित स्थानीय अधिकारियों द्वारा इस सम्बन्ध में नियम बनाए जा सकेंगे। लार्ड महोदय बड़ी नम्रता पूर्वक श्रीमान् संम्राट को यह परामर्श देंगे कि अपील और मुखालिफ़ अपील मय खर्चे के खारिज की जाय । दफा ८१९ मियाद नहीं हो सकती - धर्मादा जायज़ होने के लिये यह ज़रूरी है कि वह धार्मिक या खैराती कामोंके लिये हमेशाके वास्ते कायम किया गया हो, धर्मादा कायम करनेके लिये कोई मियाद नहीं हो सकती। महारानी ब्रजलुन्दरी देवी बनाम लक्ष्मी कुंवर रानी 15 B. L. R. 176. में कलकत्ता हाईकोर्ट के जजोंने एक मूर्तिके सम्बन्धकी जायदादके विषयमें यही माना कि वह जायदाद हमेशाके वास्ते उस देव मूर्तिमें नहीं लगी थी इस लिये वह जायदाद धर्मादेमें शामिल नहीं है और धर्मादा नाजायज़ है। दफा ८२० धर्मादा कायम करने वाला ___ प्रत्येक हिन्दू जो अपने होश हवासमें ठीक हो और नाबालिग न हो अपनी मालिकी की जायदादको वसीयत या दानके द्वारा किसी धार्मिक या खैराती कामोंके लिये इन्तकाल कर सकता है अर्थात् किसी देव मन्दिर आदि बनाने के लिये इन्तकाल कर सकता है। देखो-भूपतिनाथ बनाम रामलाल 37 Cal. 128; 12 Bom. H. C. 214. ब्राह्मण भोजन या गरीवोंके भोजन के लिये इन्तकाल कर सकता है-द्वारिकानाथ बनाम वरोदा 3 Cal. 443; 84 Cal. 5; 31. Cal. 166. सार्वजनिक हिन्दू धर्म कृत्यों के लिये जैसे श्राद्ध दुर्गापूजा, लक्ष्मीपूजा इत्यादिके लिये-प्रफुल्ल बनाम योगेन्द्रनाथ 9 C. W. N. 528; 6 Bom. 24 विश्व विद्यालय, या किली विद्यालय पाठशाला या स्कूलके लिये-मनोरमा बनाम कालीचरण 3] Cal. 166; औषधालय या अस्पतालके लिये 6 C. W N. 321; इत्यादि। द्वारिकानाथ बनाम बरोदा 4 Cal. 443; वाले मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा कि जब किसीने इस प्रकारका दान या खैरात किसी पण्डित को किया हो कि दुर्गापूजाके साथ प्रादेशिक जनोके सिखाने के लिये या महा. भारत या देवी भागवत या अन्य पुराण बांचनेके लिये या किसी विशेष मास में भगवानकी पूजाके लिये, उपकरण ( सामग्री) लेवे, तो ऐसा दान याखैरात यद्यपि जायज़ है किन्तु सन्देह जनक है।। इङ्गलिश लॉ के अनुसार ऐसे काम जो कानूनन् जायज़ नहीं माने गये हिन्दू धार्मिक धर्मादों में जायज़ माने जाते हैं जैसे किसी हिन्दूने किसी देव मूर्तिके हक़में या सदावर्तके वास्ते दान किया तो यद्यपि एसा दान इङ्गलिश
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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