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________________ धार्मिक और खैगती धमादे [सत्रहवां प्रकरण लार्ड महोदयोंके सामने यह कहा गया था कि इन देवालयोंकी भूमि को कानूनके अनुसार अपने अधिकारमें नहीं किया गया था, लेकिन दिगम्बरियों के वकीलने, इस दलीलको पेश करते समय, लार्ड महोदयोंसे यह प्रार्थनाकी कि चूंकि हिन्दुस्तानमें एक मुकदमा चल रहा है जिसमें यह प्रश्न पेश है, इस लिये आप उस पहाड़ी (पर्वत) की मिल्कियतके सम्बन्धमें हकीयतके सवालको न तय करे । ___इस लिए केवल उन्हीं बातों पर विचार करते हुए जो इस वर्तमान मुकद्दमेके कागजों में बतलाई गई हैं, लाई महोदय इस नतीजे पर पहुंचते हैं कि असलमें दिगम्बरोंको ऐसी कोई हक़ीयत हासिल नहीं है जो उन चार देवालयों पर कानूनके अनुसार कब्ज़ा करनेसे स्वेताम्बरोंसे रोकती हो। अगर यह हक़ीयतः राजाको हासिल है, तो इस बातके लिये काफ़ी शहादत है कि उसने इन स्थानोंको इस कामके लिये दे डाला था। ___ उस पहाड़ीका रकबा २५ वर्ग मील बतलाया जाता है और खेवटमें वह "गैर मजरुआ" दिखलाई गई है। यदि यह मान लिया जायकि वह समस्त जैन-धर्मावलम्बियोंके धार्मिक कामोंके लिये दे डाली गई थी, तो भी श्वेताम्बरों के लिये इन ४ स्थानों को अपने अधिकारमें कर लेना सम्भव था, और यह बात, कि उन्होंने बिना किसी प्रकारके विरोधके उनपर इमारतें बनालीं, इस बातका काफी सुबूत है कि वह स्थान अपने अधिकारमें कर लिया गया था। अब जल मण्डिलके मन्दिरके सम्बन्ध में विचार करता रह जाता है इसके सम्बन्ध में यह स्वीकार किया जाता है कि वीचके कमरेमें जो मूर्तियां या चित्र हैं वे श्वेताम्बरोंके हैं, और यह कि इधर-उधरके चार कमरोंमें उनके पूजन आदिकी कुछ सामग्री रखी हुई है। श्वेताम्बरोंका कहना है कि वाक़ी दो कमरे या तो खाली हैं या रद्दी चीज़ोंके भरनेके काममें लाये जाते हैं। दिगम्बरों का कहना है कि उनकी मूर्तियां वहां थीं और घहींपर उनकी पूजा होती थी और श्वेताम्बरोंने उन्हें बेजा तौरसे हटा दिया है। ___ यह बात बिलकुल निश्चय जान पड़ती है कि जिस समय मोहतमिम बन्दोबस्तने 'खेवट' तैयार करनेके अभिमायसे जांच की थी उस समय वहां पर मूर्तियां नहीं थीं, और सब जज साहबका कहना था कि. वहांपर कोई भी देव मूर्तियां नहीं थीं। हाईकोर्टका विचार था कि एक प्रतिष्ठित गवाह की शहादत, जिसने यह बयान किया कि उसने इनमेंके एक कमरेमें सन् १६०६ ई० में दिगम्बर मूर्तियों की पूनाकी, एतबार कर लेने के लिये काफ़ी है, और यह कि शायद यह मान लेनेपर कि वहांपर कुछ समयके लिये कुछ दिगम्बर मूर्तियां जमा कर दीगई. थीं; इस शहादतकी ताईद हो जाय ।
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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