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________________ १७८ दान और मृत्युपत्र [सोलहवां प्रकरण दफा ८०५ वसीयतनामेका अर्थ लगाना हिन्द वसीयतनामेके अर्थ लगानेका कोई खास कायदा नहीं है वसीयतनामेंके अर्थ लगानेका सबसे उचित तरीका यह है कि सबसे पहिले वसीयतके सब अंशोपर चाहे वह कानूनके अनुसार हों या नहीं विचार किया जाय और यह देखा जाय कि वे वसीयत लिखने वालेका इरादा ज़ाहिर करते हैं या नहीं और सम्पूर्ण वसीयतनामा एक साथ पढ़कर यह मालूम किया जाय कि उस वसीयतनामेके आधारपर जो कोई आदमी या स्त्री जिस हकका दावा करती हो वह हक़ या दावा उस फ़्रीकको दिये जाने का इरादा वसीयत करने वालेका था या नहीं, देखो-10 I.A. 51; 9 Cal. 962; 9 B. L. R 377; 18 W. R. C. R. 359. वसीयतनामेके शब्दोंका वही अर्थ लगाया जायगा जो साधारणतः प्रचलित हो 2 I. A 256; 24 W. R. 168-169,16 I. A. 29; 16 Cal. 383. वसीयतकी पाबन्दी सीही होगी जैसा लिखाहो-वसीयत करनेवाले ने यह वसीयतकी कि अमुक मकानका जितना किराया आवे वह ठाकुरद्वारा में लगा दिया जाया करे। उसके मरने के बाद उसकी विधवा वारिस हुई उसने सोचाकि मकानही दान कर दिया जावे अस्तु विधवाने कुल मकान ठाकुरद्वारे में लगा दिया, पीछे होने वाले वारिसोंने दावा किया तो यह तय हुआ कि विधवाको मकान लगानेका कोई अधिकार न था वह सिर्फ किरायाही ठाकुरद्वारेको दे सकती थी वसीयतके खिलाफ कोई काम करनेका अधिकार विधवा को नहीं था हिवानामा मकानका नाजायज़ क़रार पाया, देखो-1923 A. I. R. 252. Punj. वसीयतनामेके शब्दों और वाक्योंका अर्थ उदारतापूर्वक लगाना चाहिये चाहे वसीयतनामा बिल्कुल अशुद्ध भाषामें लिखा हो, नाम आदि भी गलत हों या और किसी तरहसे अशुद्ध हो । यह अशुद्धियां कुछ भी नहीं देखना चाहिये बल्कि मालूम करना चाहिये केवल उस लिखतका स्पष्ट अर्थ। यदि वह लिखत उचित और कानूनसे जायज़ हो तो वह वसीयतनामेकी लिखत मानी जायगी और उसकी अवश्य तामील होगी देखो--9 B. L. R. 377; 18 W. R. C. R. 359. वसीयतनामे का अर्थ लगाने में अदालत पहले उसके शब्दों पर विचार करेगी फिर इर्द गिर्द के हालातपर ध्यान देगी-6 M. I. A. 226; 4 W. R. P. C. 114; 25 Cal.112-3 24. फिर यह देखेगी कि जो चीज़ वसीयत द्वारा दीगयी है उसमें लागू होने वाला कानून क्या है, देखो-12 M. L A. 41; 9 W. R. P. C. 1; 11 BuIn. 63--14; 25 Boin 279; 13Bom. L. R 471. और जहांपर अर्थ स्पष्ट नहीं होता वहां अदालत यह देखेगीकि
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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