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________________ दफा ७६.] दानके नियम लिये उन्हें पूरा अधिकार हि बानामा करनेका था, नतीजा यह हुआ कि बलवन्तसिंह हर जगह से हारा और नाकामयाब रहा। बलवन्तसिंहकी दूसरी शादी हुन्नोजीके साथ हुई और कहा जाता है कि उससे एक लड़का नरसिंहराव पैदा हुआ। जब नरसिंहरावकी उमर १८ वर्ष समाप्त हुई तब उसने अपने दादा यशवन्तरावके हिबानामाके मुताबिक रानी किशोरीपर दादाकी जायदाद वापिस पानेका दावा दायर किया । जवाब दावामें कहा गया कि नरसिंहराव, बलवन्तसिंहका लड़काही नहीं है और हुन्नोजीके गर्भसे कभी पूरे महीनोंका कोई लड़का ही पैदा नहीं हुआ है। अदा. लत मातहत और हाईकोर्टके जज महोदयोंने बहुत ज़ोर इस बारेमें दिया कि हुन्नोजीकी डाक्टरी परीक्षा लेडी डाक्टरोंसे कराई जाय कि उनके कभी पूरे महीने का लड़का पैदा हुआ है या नहीं। हुन्नोजीने बराबर, डाक्टरी परीक्षा देनेसे इनकार किया और नहीं दी तब दोनों अदालतोंमे यानी अदालत मातहत और हाईकोर्टने फैसला दिया कि मुद्दई नरसिंहराव अपनी पैदाइशकी असलियत साबित नहीं कर सका इसलिये दावा खारिज किया जाता है। नरसिंहरावने प्रिवी कौन्सिलमें अपील की। इस बीचमें हुन्नोजी कुछ समय गायब रहीं और बादमें वह विलायत पहुंची विलायतमें अपीलाण्ट नरसिंहराव ने प्रिवी काउन्सिलमें एक दरख्वास्त दी कि मु० हुम्रोकुंवर अब लेडी डाक्टर परीक्षा करानेको तैय्यार होगई हैं। प्रिवी कौन्सिलके जजोंने यह दरख्वास्त मंजूर की और एक लेडी डाक्टर प्रिवी कौन्सिलके जजोंने व एक लेडी डाक्टर रेस्पान्डेण्टने व एक लेडी डाक्टर अपीलाण्टकी तरफसे नियुक्त कीगयीं। तीनों लेडी डाक्टरोंने हुन्नोजीकी परीक्षा नये ईजाद साइन्सकी रूसे की और रिपोर्ट यह दी कि हुन्नोजीके पूरे महीनेका लड़का पैदा हुआ है। इस रिपोर्ट के आनेपर प्रिवी कौन्सिलने मुकदमा मज़ीद फैसलेके लिये इलाहाबाद हाईकोर्टको वापिस किया। हाईकोर्टने सब बातोपर विचार करके नरसिंहरावका दावा डिकरी कर दिया अर्थात् यह माना कि मुद्दई बलवन्तसिंहका लड़का है और रानी किशोरीके पास जायदाद अमानतके तौरपर अभी तक थी वह जायदादकी संरक्षक थी अव असली वारिसको दी जावे। यह तजवीज लिख कर हाईकोर्ट इलाहाबादने प्रिवी कौन्सिलको भेज दी जब प्रिवी कौन्सिलमें क़तई फैसलेके लिये यह अपील पेश हुई तो रेस्पान्डेन्ट यानी रानी किशोरीकी तरफसे माननीय पं० मोतीलाल नेहरू और सरजाम साइमन (जो जनवरी सन १९२६ ई० ) में भारतकी नैतिक परिस्थितिकी जांचके लिये कमीशनके प्रमुख होकर आये थे और जो कमीशन 'साइमन कमीशन' के नामसे विख्यात हुआ ) ने बहस की । बहसके प्रधान प्रश्न यह थे कि जिस समय राजा यशवन्तरावने हिबानामा लिखा था उस समय किसी हिन्दूको यह अधिकार नहीं था कि आगे पैदा होने वाले व्यक्तिके हकमें हिबा कर सके यानी जो व्यक्ति
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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