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________________ दान और मृत्युपत्र हिबा और वसीयत अर्थात् सोलहवां प्रकरण दान दफा ७८९ दान शब्दकी उत्पत्ति और व्याख्या 'दान' यह शब्द संस्कृत भाषाका है। संस्कृतके व्याकरणके अनुसार 'बुदा-दाने' धातुसे भावमें 'लुद्' प्रत्यय होकर 'दान' शब्दकी सृष्टि हुई है। इसका मूल अर्थ है देना, और जब यह दान शब्द संक्षावाचक होता है तो इसका अर्थ दान-संग्रह ग्रन्थमें यों किया है-- "परस्वत्वोत्पत्त्यंतो द्रव्यत्यागो दानम्" अर्थात् धन ( स्थावर या जंगम ) में अपने सब अधिकार छोड़देना और वे सब अधिकार दूसरेके पैदा होजाना,यह बात जिसमें हो वह काम 'दान' है। दानको उर्दू भाषामें 'हिबा' कहते हैं और अगरेजीमें 'गिफ्ट' । दान और वसीयतमें यह फरक्क है कि दानका काम पूरा होते ही दान दी हुई संपत्तिपर से दान देनेवालेका सब हक्क चला जाता है। किन्तु वसीयतमें नहीं चला जाता उसमें उसके जीवनतक बना रहता है, दान बदल नहीं सकता किन्तु वसीयत बदल सकती है इत्यादि । दानकी अधिक व्याख्याके लिये देखो-शब्दकल्पद्रुम, और चतुर्वर्ग चिन्तामणिका दान-प्रकरण तथा दानचन्द्रिका,दानमीमांसा, दानकौस्तुभ आदि । दफा ७९० धर्मशास्त्रमें चार प्रकारके दान नारद कहते हैं किअथदेयमदेयंच दत्तंवादत्तमेवच व्यवहारेषु विज्ञेयो दानमार्गश्चतुर्विधः
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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