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________________ ६५२ दाम दुपटका कानून [पन्द्रहवां प्रकरणं दफा ७८७ कौन आदमी दाम दुपटका हक़ रखते हैं (१) कलकत्ता हाईकोर्ट के अनुसार, दाम दुपटका कायदा उस वक्त लागू किया जायगा कि जब क़र्जा देने वाला और लेने वाला दोनों हिन्दू हों देखो-उमा बनाम श्रीहरि 1 C. W. N. ( Short notes) 178; 14 Cal. 781; यानी अगर क़र्जा देने वाला मुसलमान है और लेने वाला हिन्दू, या ईसाई है लेनेवाला और देने वाला है हिन्दू उन सूरतोंमें यह कायदा नहीं माना जायगा। (२) बम्बई हाईकोर्ट के अनुसार यह बात परमावश्यक है कि क़र्ज़ा लेने वाला हिन्दू हो तभी दाम दुपटका कायदा लागू पड़ेगा, इसका नतीजा थह होता है कि अगर कर्जा लेने वाला मुसलमान हो और देने वाला हिन्दू हो तो लागू नहीं पड़ेगा, देखो-3 Bom. 131; 18 Bom. 2:27. लेकिन उस वक्त लागू पड़ेगा जब कर्जा देने वाला मुसलमान या दूसरी कौमका हो और लेने वाला हिन्दू, देखो-अलीसाहेब बनाम शिवाजी 21 Bom. 85. अगर क़र्जा लेने के समय क़र्जदार हिन्दू हो और पीछे मुसलमान हो जाय तो यह कायदा लागू पड़ेगा मगर उस वक्त लागू नहीं पड़ेगा जबकि क़र्जा लेते समय मुसलमान हो और उसने पीछे उस कर्जेको किसी हिन्दूके हक़में इन्तकाल कर दिया हो, देखो-हरीलाल बनाम नागर 21 Bom. 38. जबकि पहला क़र्जदार हिन्दू है और ब्याजकी रकम मूलधनसे ज्यादा बढ़ गयी है उसके बाद वह कर्ज किसी मुसलमानपर बदल कर चला गया, तो ऐसी सूरतमें दाम दुपटका कायदा उसी हद्द तक लागू समझा जायगा जहां तक कि वह क़र्जा हिन्दूके ऊपर था। जिस तारीखसे कर्ज मुसलमानपर मुन्तकिल होगया उसी वक्तसे दामदुपट टूट जायगा। मुसलमानके पास जिस तारीखसे वह कर्ज आया है मूलधनके दूने रुपये परसे आगेका ब्याज शुरू रहेगा यानी जब तक हिन्दू कर्जेका जिम्मेदार है तब तक मूलधनके दूने से अधिक लेनदार नहीं ले सकता था, देखो-अलीसाहेब बनाम शिवाजी 21 Bom. 85. उदाहरण-एक मुसलमान नूरखांने १२२) रु० किसी ब्याजपर हमेश हिन्दूसे कर्ज लिया और अपनी जायदाद उसके बदलेमें रेहन करदी पीछे नूरखांने अपना हक़ इनफिकाक जायदादका एक हिन्दू गणेशके हाथ बेच दिया। महेश ने गणेशपर अपने ५४०)रु० मिलनेका दावा किया इस बयानसे कि १२२) रु० मूलधन और ४१८) रु० बाबत ब्याजके जो दावेमें शामिल हैं दिलाये जायें। गणेशने उजुर पेश किया कि वह और वादी दोनों हिन्दू हैं दाम दुपटका कायदा लागू होना चाहिये यानी वादी मूलधनसे दूनी ब्याज पानेका अधिकारी है ज्यादा नहीं । ऐसी सूरतमें यह कायदा लागू नहीं होगा क्योंकि प्रथमका क़र्जदार मुसलमान नूरखां था इससे महेश कुल दावेकी डिकरी पा सकता है।
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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