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________________ दफा ७७८] बेनामी क्या है ६४५ wwwxxx हमेकी पैरवीमें बहुत बेपरवाही की तथा मिलकर डिस्मिस् करा लिया इस लिये मकानका क़ब्ज़ा व दखल मुझे दिलाया जाय, साबित हुआ कि 'ख' की नालिशका शान 'क' को था अदालत ऐसी नालिश को नहीं सुनेगी क्योंकि पहले तो 'ख' की नालिश के फैसले का पावन्द 'क' है, और दूसरे दावा में रेसजुडीकेटा लागू होता है । 'रेसजुडीकेटा' का मूल अर्थ यह है कि दीवानी मोहकमे में फैसल की हुई बातका दुबारा फैसला नहीं होगा। रेसजुडीकेटा' इसलिये लागू होता है कि ज़ाषता दीवानी सन् १६०८ई० की दफा ११ इससे सम्बन्ध रखती है यह दफा सारगर्भित तथा विस्तृत अर्थ की है साधारण समझने के लिये हम इस दफा का सारांश नीचे देते हैं इसीका नाम है 'रेसजुडीकेटा' 'कोई अदालत किसी ऐसे मुक़दमें या विचार्य विषयकी तजवीज़ नहीं करेगी जिसमें वह बात स्पष्ट और वास्तविक विचार्य विषय समझी गयी हो। जो बात कि किली 'पहले मुकदमें में फरीकैन हाल या ऐसे फरीकैन कि जिन के द्वारा हालके फरीकैन या उनमें से कोई एक दावा करते हैं या किसी हवं पर अपना स्वत्वाधिकार कायम करते हैं, स्पष्ट और वास्तविक विचार्य विषय समझकर फैसल की जा चुकी हो(१) 'पहला मुक़दमा' इससे यह मतलब है कि वह मुकदमा जो वर्तमान मुकदमेसे पहले दायर हुआ हो या न हुआ हो(२) ऐसे प्रश्नके उठनेपर कि अमुक अदालत अमुक मुक़द्दमेकी तजवीज़ करनेका अधिकार रखती श्री या नहीं, इस प्रश्नकी निस्बत अदा. लत अपीलसे फैसला होगा(३) आवश्यक है कि पहले मुकद्दमे में यह बात जो ऊपर कही गयी है किसी एक फरीकने बयान की हो और दूसरे फरीकने स्पष्ट या अर्थवशात् उससे इन्कार किया हो या स्वीकार किया हो(४) प्रत्येक बास जो उस पहले मुकदमे में जवाब देने या दावा करने की बुनियाद मानी जा सकती थी या मानना चाहिये था तो ऐसा समझा जायगा कि वह बात स्पष्ट और वास्तव में विवार्य विषय थी(५) जिस बातका दावा, अर्जी दावामें किया गया हो और वह डिकरी में स्पष्ट रूपसे नामंजूर कर दी गयी हो तो यह बात इस दफाके मतलबके लिये ऐसी समझी जायगी कि मंजूर नहीं हुई(६)जिस सूरतमें किसी आम हक़ या किसी जाती हक्क के बाबत लोग दावा करते हों चाहे वह दावा वे अपने वास्ते या कुछ लोगोंकी शिरकतमें करते हों नेकनीयतीसे जब वे अदालतमें नालिश दायर कर दें तो वे सब लोग जो उस हक़से सम्बन्ध रखते होंगे इस 119
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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