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________________ १६ दफा १०-११ ] हिन्दूलॉ का विस्तार । आचार और रवाजमें यद्यपि सूक्ष्मदृष्टिसे देखने में फरक़ हो सकता है किन्तु मोटे तरीक़े में नहीं । रवाजको अङ्गरेज़ी में कस्टम ( Custom ) कहते हैं । जिस किसी खास कुटुम्ब या समुदाय ( Class ) या जिलेमें कोई रसम बहुत दिनोंसे माना जाता हो वह रसम ( रवाज ) क़ानूनका दर्जा रखता है देखो--26 W. R. 55; R. & J's No. 41; 3 I. A. 259; 14 MI.A. 570, 885, 17 W. R. 553; 12 B. L. R. 396. हिन्दूलॉ में यह माना गया है कि, किसी खास कुटुम्बमें जो रवाज या रसम हो वह साफ तौरसे साबित की जाय देखो - 11 B. H. C. 249; 10 W. R. (P.C.) 17; 12 M.I. A. 397; 1 B. L. R. (P. C.) 1; 3 M. H. C. 50; और देखो दफा ३०-३५ ( २ ) हिन्दू लॉ का विस्तार किसके लिये हिन्दूलॉ लागू होगा ? कौन आदमी हिन्दूलों के अधिकार में रहेंगे ? कौन आदमी हिन्दूलों के अधिकारमें नहीं रहेंगे ? दफा ११ किसके लिये हिन्दूलॉ लागू होगा ? हिन्दूलॉ सिर्फ उन्हीं आदमियोंसे लागू नहीं होता जो हिन्दू मज़हब मानते हों, बल्कि उन आदमियोंसे भी लागू होता है जो हिन्दू मज़हब के बाहर नहीं हैं चाहे वह ज़ाहिरा तौरपर हिंदू मज़हबकी रीतियों का पालन न करते हों । 30 Cal. 999 में यह बात मानी गयी है कि, जो हिन्दू ब्रह्मसमाजी होजाता है वह हिन्दू बना रहता है, क्योंकि वह पहिले हिन्दूही पैदा हुआ है. और ब्रह्मसमाज में वह हिन्दूधर्म के मानने से रोका नहीं गया इसलिये वह हिन्दू बना रहता है । हिन्दूलॉ उस आदमी से भी लागू होगा, जिसने हिन्दू धर्मकी खुराक और हिन्दुओंकी रसम रवाज छोड़ दिया हो देखो - 31 Cal. 11; जहां यह नहीं मालूम हो सके कि कोई समाज या जाति हिंदू है या मुसलमान, तो उनके विवाह और उत्तराधिकार विषयमें न्याय और सद्विचारके अनुसार अथवा उनकी जातिके रसम रवाजके अनुसार फैसला किया जायगा देखो 20 M. L. J. 49. सिख, जैन, खोजा आदि कई ऐसी जातियां भी हैं, जो हिन्दू धार्मिक रीति रसम न मानने पर भी हिन्दूलॉ के प्रभुत्वमें रहती हैं। जो हिन्दू ईसाई होजाय उससे सन १८६५ ई० का इन्डियन सक्सेशन एक्ट नम्बर १० लागू होता है । इस क़ानूनके पास होनेके पहिले ईसाई होजानेवाले
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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