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________________ तीओ सन्धी । एत्थंतरि सुहिबंधवलोएं अहिसिंचियफलमंगलतोएं । पुत्तपन्नु सयणु परिओसिउ बंधुयत्तु पिएं गाउं पयासि । धत्ता । परिपालिउ लालिउ वढविउ सअलकलाकलावकलिउ । कीलंतु जुवाणुभावि चडिउ पउरि महायणि दुल्ललिउ ॥ ४ ॥ समवयवणिजुवाणस्यपरिमिउं परिवडियपयावसुहकैम्मिरं । राउलि सण्णमाणु धणयत्तउ णवजोग्वणगुणरूवसइत्तउ । भई यरि किलकीलासत्तर विविहई बहु दुण्णयई करंतर | विणय विय सुहिय संभावइ कुडिलहं दप्पसाड दरिसावइ । छंदाइन्तवयणि रइ मन्नई मैज्झत्थइ सुअणई अवगन्नई । पडिसकइ मरिंग पडिलूरिं वासइ मयपरिमलकप्पूरिं । पट्टणि सुत्तविमुत्तइ चाहइ दप्पुडुर तुरंग परिवाहइ | वणिवरकुलई सेव जंपावर पुरयणु णिरवलेसु कंपावर | परजुवइहिं परिसक्कइ वंकउ जंपर पहु पंगणि समडक्कर । धत्ता । जोव्वणवियारनिव्भरभरिउ अच्चुव्भडसिंगारमई । संबोहिवि सुहिबंधवसयई संचल्लिउ कंचनपुर || ५ || कवि हुं जणणि उ मंतु तुरिउ ताथ परिवड्डियतंतु । मई तं कणयदीउ पइसिव्वर अच्छइ ताम एहु सुहसेवउ । तं णिणिवि परिवडियमंति करयलु वयणि दिन्नु विहसंतिं । डिहिं चडिवि जइ तं किर किजइ वयणुवि नउ करालु जंपिज्जइ । बोलहि पुत्त जेम अण्णाणिउं किं वणिउत्तरं मग्गु न याणिउं । सुहियहि हियउ णाहिं अपिव्व परिमिउं थोड थोड जंपिन्वड | अत्थु विप्s विविपयारिहिं वंचिवि करसन्ना संचारिहिं । अप्पुणु पक्खे भंडु सलहित्र्वर अण्णहो चित्तु विचित्तु लवउ । अप्पुणु अंगु णाहि दरिसिव्वर अण्णहो तगउं परामरिसिव्वउ । धत्ता । परकज सुणंतुवि णउ सुणई अप्पण कज्जहो उ चलइ | कलाव विणियचरिउ परहो अंगि पइसिवि कलइ || ६ || अइकिलेस जइ अत्थु विढप्पइ विउसवियहं तेण समप्पइ । अच्छिज्जइ सुहझाणणिउत्तहि देवधम्मगुरुपूयपवित्तहि । अण्णजम्मि पुत्र्वज्जिउ जं धणु तं एसइ पुच्छंतु घरंगणु । १ B तहो ? B सेविउ ३ B णिय : B मज्झत्यहं सुवणहं ५ B कलावहि १०
SR No.032126
Book TitleBhavisayatta Kaha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKavi Dhanpal, C D Dalal
PublisherBaroda Central Library
Publication Year1923
Total Pages402
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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