SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 84
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ओसन्धी । एहु बालु होसइ बहुजाणउं अण्णुवि बहुणरवरहं पहाणडं । सारेयरवियार जाणेसह मंडइ रायलच्छि माणेसह । तिं वेणि पुरवइमणु रंजिउ नेमिं तिउ वरवत्थहिं पुज्जिउ । तोरण मंगलकलस धरेष्पिणु मोतियरंगावलिउ भरेष्पिणु । rasमंदिर गउ वडावर सुयणहं पेसिउ वयणु सुहावउ । घत्ता । पडुपडहरवेण मउ परिगलिउ महागयहं । धणव परितु दिइ दाणु वंदिनँ सयहं ॥ १५ ॥ वियसियवरकमलविहत्थउ पइसइ जुवईयणु सुपसत्थउ । उव्विलइ मयविंभलगत्तउ परमोच्छवि मउलावियणेत्तर । वत्थाहरणविहसियसारउ सरहसु परिवडियसिंगारड । एक्कु मासु गउ एण विणोएं पुणु जिगमहिमाणंदविहोएं । हरिवलदुहिय सुहिय कयउण्णी पुत्तुच्छंगसंगसंपुण्णी । वत्थाहरणविहूसियसुवइहिं परिमियसुयणमहाकुल जुवइहिं । आवणसोह पसाहियपंथी जिणवरमंदिरं गय स कियत्थी । जिणवरपुज्जमहिम दरिसेविर्णे बहुमणिरयणवरिसु वरिसेविणु । धत्ता । परमेट्ठि पंचमंगलु भणिवि कण्णंतरि धणवइसुअहो | मुणिवयणभवीसालं कॅरिउ भविसयत्तु किउ गाउ तहो ॥ १६ ॥ प्रथमः सन्धिः पणवेवि पाउणिण्णासयतु भावि चंदप्पहचलण । भोगंतराउं पंकयसिरिहिं जेम जाउ तं कहमि जण ॥ अहिणवरंभगन्भसोमालउ धणवइघरि परिवढह बालउ । कमलसिरिहि पीणुण्णयसदृहं पिल्लिवि हातु पियइ थणवहई | हहित्य भई जणविंद्रहो चरियसुहावहु सुद्द गरिंदहो । रणाहिं सई अंकि लइज्जइ चामरगाहिणीहिं विज्जिज्जइ । पवरविलासिणीहिं चुंबिज्जइ अण्णहिं पासिउ अण्णहिं लिज्जइ । १ B तें वयणि २ B णिम्मत्तिङ ३ B वंदियसयहिं ४ B दरिसेप्पणु ५ B वरिसेपिणु ६ B भवीसालंकि ७ C इय भविसत्तकहाए पयडियधम्मत्थकाममोक्खाए । वुहधणबालकयाए पंचमिफलवण्णणाए । भविसयत्तजम्मवण्णणो नाम पढमो संधी सम्मत्तो ८ B भोयंतराउ ९ B हत्थ
SR No.032126
Book TitleBhavisayatta Kaha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKavi Dhanpal, C D Dalal
PublisherBaroda Central Library
Publication Year1923
Total Pages402
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy