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________________ पठमोसन्धी। वक्करकुरुडडकडक्खिएहिं वरु तजिउ कन्नाचक्खिएहिं । रे रे तियलंपड सउहुं ठाहि मुहियई जि केम तिय लेवि जाहि । बहुकामकडक्खविहाविओसि चंगइ थाणंतरि पाविओसि । सुहयत्तणगदिच कउ परित्त दरमलिउ अज्जु कहिं जाहि मित्त । हैले हले लइ लेहु भणंतियाहि परिवेढिउ अहतु फुरंतियाहि । कवि वंच्छइ सिरि धम्मिल्लजूडु परिमुसइ कावि मणिवलयचूडु । कवि पीडिजंति वि भुअबलेण अवतुंडइ रइकोऊहलेण ।। कवि मइलइ कजलतिलउ लेवि कवि विलसइ मुहमंडणु मलेवि । कवि काणक्खेव ढक्कइ च्छलेण वत्थई खंपइ कुंकुमजलेण । कवि खिवइ जक्खकद्दमथवा उन्भडवयण बोल्लइ अवक्छु । घत्ता । वरमालमलियमणिमउडहउ वरु पिक्खिवि पंचावत्थु किउ । ओवग्गिवि बंधिवि गत्तियउ दुक्क वरपक्खकुलुत्तियउ ॥१०॥ आलग्गउ पीणघणत्थणाउ सोहलयरमणरंजियमणाउ। कवि काहिवि कुरुलई णिद्दलेइ कवि काहिवि मुहमंडणुसिउं वरेइ । कवि काहिवि वत्थंचलु धरेइ कवि काहिवि अप्पुणुर्सिउ वरेइ । कवि कट्टइ रसणादामु लेइ कवि च्छोडइ आविल्लउ धरेइ । गलि कावि हारु तोडइ च्छलेण कवि मल्लजुज्झु लग्गइ बलेण । णिजिणिवि एम वरततुणिसत्थु सहुं कन्नई वतु आणि कयत्थु । पइसारिउ मंगलसय करेवि थियबहुजसकित्तिहि घरु भरेवि । बहुवल्लह पइपरियणहो बाल भमरउलहो जेम सुअंधमाल । घत्ता । घतु णिययगुणेहिं सयलु ताई अप्पणउ किउ। पडिवण्णविहोउँ धणवइ मुहं जोयंतु थिउ ॥ ११॥ सा कमलसिरि नाउं तहो पत्ती अखलियजिणवरसासणिभत्ती । समचक्कलकडियलसुमणोहर वियडरमणघणपीणपओहर । छणससिबिंबसमुज्जलवयणी णवकुवलयदलदीहरनयणी । थिरकलहंसलीलगइगामिणि जणहो धणहो परिवारहो सामिणि । दिव्बाहरणवत्थसंजुत्ती जिणवरमंदिरि भमई सइत्ती। सुललियगुरुवच्छल्लि सोहइ सोहग्गे मयरडउ खोहइ । १ B सुयत्तणि गव्वें २ B हलि हलि ३ A काणक्खिवि ४ B सई ५ Bहेज ६ B सासणभत्ती ७ B थिय ८B वच्छले
SR No.032126
Book TitleBhavisayatta Kaha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKavi Dhanpal, C D Dalal
PublisherBaroda Central Library
Publication Year1923
Total Pages402
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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