SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 109
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भविसयत्तकहाए अहिणउ लिहिउ एउ विणु भंतिए दीसइ पडिउ चुण्णु तलि भित्तिए । किं पच्छन्नु को वि वेयारह कवडिं जिणभवणहो नीसारइ । अहवइ एण काई सवियप्पें मरणु वि नाहि अपूरिं मप्पें । खुट्टइ नाहिं जेम जीविजइ अणखुदृइ वि तेम न मरिजइ । एउ जाणिवि जं साहसु मुच्चइ तं पुरसत्तहीणु जण वुचइ । एम्व भणिवि सो चलिउ तुरंत पंचमु गेहंगणु संपत्तउ । चडइ वीरु वित्थयसोवाणइं वरभवणहो पिक्खंतु निवाणहं । मणिकवाडमणिजालगवक्खई मणितवंगतोरणई सलक्खई। घत्ता । जामाउ व लील परिचिंतइ अहिणवसुरउ । मुत्ताहलदंतु हसइ व लीलई सासुरउ ॥७॥ चंदकंतिपहधवलियधामहं कहिंमि थोरमुत्ताहलदामइं। कहिंमि रयणकुटिमपहरंजिउ तमरउ मणिदीवियहिं परजिउ । तहिं सुविचित्तचित्तपयसंचरि निरु सविसुद्धफलिहभवणंतरि । दिट्ट कुमारि वियणि सोवणघरि लच्छि नाइं नवकमलदलंतरि । जिणसासणि छज्जीवदयाइ व पंडियमरणि सुगइपरिमाइ व । मुहमारुइण मलयवणराइ व सिंहलदीवि रयणविक्खाइ व । सोहइ दप्पणि कील करंती चिहुरतरंगभंग विवरंती। सो फलिहंतरेण सा पिक्खइ सा वि तासु आगमणु न लक्खइ। घत्ता । नं वम्महभल्लि विंधणसीलजुवाणजणि । तहि पिक्खिवि कंति विभिउ झत्ति कुमार मणि ॥८॥ उप्पलदलदीहरपायहिं नहमणिकिरणकरंबियच्छायहिं । जंघोरुयगुज्झंतरपासई सुणियत्थई मिज्झीणपरिवासई। पोतंतरउन्भिन्नपयासई तं विहसंति पिहियपरिहासई । वियड नियंबबिंबु सोहिल्लउ रेहइ अडाइडकडिल्लउ । रोमावलि वलि अंगि विहावइ थिय पिपीलिरिंछोलि व नावद। . रसणादामनिबंधणु सोहइ किंकिणिरणझणंतु मणु खोहा। समचक्लु कडियलु किसुमज्झउ नजइ करयलमुट्ठिहि गिज्झउ । तिवलितरंगई नाहीमंडलु नं आवत्ताइहु महाजलु। पीणुन्नयनिबिडइं थणवदृहं निन्भिटइं हारावलिथई । मालइमालाकोमलबाहउ रयणकडयकेऊरसणाहउ ।
SR No.032126
Book TitleBhavisayatta Kaha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKavi Dhanpal, C D Dalal
PublisherBaroda Central Library
Publication Year1923
Total Pages402
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy