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________________ सिर्फ इतना ही ध्यान रखे कि यह जो हल-बक्सर चला रहा है, यह मैं नहीं हूं, यह मैं देखनेवाला मात्र। शरीर से हल-बक्सर चल रहा है, मन से योजना बनायी जा रही है, मैं देखनेवाला हूं। या कि तुम वेद पढ़ रहे हो, एक ही बात है। या कि जूते बना रहे हो, चमार हो, या कि मूर्ति गढ़ रहे हो, मूर्तिकार हो, कोई फर्क नहीं पड़ता। तुम क्या कर रहे हो, इससे कोई संबंध नहीं है। तुम जो भी कर रहे हो उसके प्रति जागकर अगर साक्षी हो जाओ, तो तुम साक्षी के परम जगत में प्रवेश कर जाओगे। इसलिए गोरा कुम्हार भी ज्ञान को उपलब्ध हो गया, काशी के पंडित राजी नहीं होते। क्योंकि काशी के पंडित कहते हैं कि गोरा कुम्हार, घड़े बनाते -बनाते और जान को उपलब्ध हो गया! कबीर, कपड़े बनते-बनते! यह कबीर जुलाहा और ज्ञान को उपलब्ध हो गया! काशी के पंडित राजी नहीं होते। कि रैदास चमार, जूते बनाते -बनाते और ज्ञान को उपलब्ध हो गया! नहीं यह बात अँचती नहीं। काशी का पंडित सोचता है कि जब तक कोई पांडित्य को उपलब्ध न हो, बड़ी-बड़ी उपाधियां न हों, तब तक कोई ज्ञान को कैसे उपलब्ध होगा? स्वामी रामतीर्थ अमरीका से भारत वापस लौटे। अमरीका में तो उन्हें बड़ी ख्याति मिली। इस लिहाज से अमरीका सरल है। अमरीका शायद अकेला मुल्क है मनुष्य जाति के इतिहास में जहां पंडित का कोई बहुत मूल्य नहीं है। व्यावहारिक आदमी का मूल्य है। पंडित का इतना कोई मूल्य नहीं है। अमरीका में तुम्हें ऐसे प्रोफेसर मिल जाएंगे जिनके पास कोई डिग्री नहीं है और यूनिवर्सिटी में पढ़ाते हैं। यह बड़ा कठिन मामला है। भारत में तुमको कोई ऐसा प्रोफेसर नहीं मिल सकता जिसके पास डिग्री न हो और यूनिवर्सिटी में पढ़ाता हो। डिग्री तो होनी चाहिये चाहे गधा डिग्रीधारी हो वह यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हो जाएगा। तुम चकित होओगे, कबीरदासजी को पढ़ानेवाले प्रोफेसर हैं, कबीरदासजी अगर आ जाएं तो उनको प्रोफेसरी नहीं मिल सकती। कबीरदास को यूनिवर्सिटी में पढ़ाते हैं, कबीरदास पर थीसिस लिखी जाती है, कबीरदास पर थीसिस लिखनेवाले डाक्टर हो जाते, प्रोफेसर हो जाते, कबीरदासजी अगर आ जाएं तो यूनिवर्सिटी कमीशन उनसे पूछेगा कि डिग्री कहां है गुम सिर्फ अमरीका में कबीरदास को भी प्रोफेसरी मिल सकती है। अमरीका की पकड़ व्यावहारिक है। अमरीका में ऐसे बहुत से कवि प्रोफेसर हैं, जिनके पास कोई डिग्री नहीं है। लेकिन डिग्री क्या करोगे? जो आदमी कविता को जन्म दे सका है, जिसकी कविता पढ़ाने को सैकडों वर्ष प्रोफेसर संलग्न रहेंगे, तुम उसको प्रोफेसरी नहीं दे सकते? उसको अपनी कविता समझाने का मौका नहीं दे सकते? अमरीका में ऐसे लोग इंजीनियर हैं, जिनके पास कोई डिग्री नहीं। लेकिन अनुभव है, अमरीका अनूठा है इस लिहाज से। अमरीका की पकड़ बहुत व्यावहारिक है। क्योंकि अमरीका व्यवसायी देश है। व्यवसायी की पकड़ व्यावहारिक होती है, प्रैक्टिकल। व्यवसायी हमेशा व्यावहारिक होता है। उसकी नजर इस पर होती है कि परिणाम किससे आते हैं? । रामतीर्थ अमरीका में रहे तो लोगों ने खूब उन्हें आदर दिया। क्योंकि बात इतनी प्रत्यक्ष थी! अब यह पूछने की जरूरत थोड़े ही थी रामतीर्थ से कि तुमने कितने शास्त्र पढ़े हैं? तुम वेद जानते
SR No.032114
Book TitleAshtavakra Mahagita Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year
Total Pages444
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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