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________________ और अब, अब जब जागकर मैं अपने को देखता हूं तो पाता हूं - क्व धर्मः क्व च वा कामः क्व चार्थ क्व विवेकिता । क्व द्वैत क्व च वाउवैतं स्वमहिम्नि स्थितस्य में ।। अब जब जागकर देखता हूं तो एक ही बात दिखायी पड़ती है अपनी महिमा के सिंहासन पर विराजमान हूं। कुछ करने को नहीं है। अपने गौरव में प्रतिष्ठित हो गया हूं। स्वमहिमा को उपलब्ध कर दिया आपने मुझे। सिर्फ कहकर, सिर्फ हिलाकर सिर्फ आवाज देकर जीसस के जीवन में उल्लेख है कि उनका एक भक्त लजारस मर गया। वह बाहर थे गांव के । लजारस की बहनों ने खबर भेजी कि लजारस मर गया, आप जल्दी आएं। वे आये तो भी चार दिन लग गये। तब तक तो लाश को संभालकर रखा उन्होंने - स्व कब में रख दिया था। एक गुफा में छिपा दी थी लाश | जब जीसस आए तो वे दोनों बहनें मेरी और मार्था रोने लगीं और उन्होंने कहा कि अब तो क्या हो सकेगा ! अब तो बदबू भी आने लगी। जीसस ने कहा, तुम फिकिर छोड़ो। अगर मैं पुकारूंगा तो लजारस सुनेगा। किसी को भरोसा न था। पर भीड़ इकट्ठी हो गयी। जब वे गये उस गुफा के द्वार पर और उन्होंने जोर से आवाज दी कि लजारस बाहर आ! तो कहते हैं, लजारस अपनी अर्थी से उठा, चलकर बाहर आ गया। और जब बाहर आ गया तो लोग घबड़ा गये, लोग भागने लगे। जीसस ने कहा, भागो मत। मैंने तुमसे कहा था न, अगर मैं पुकारूंगा तो वह सुनेगा ! क्योंकि वह मुझे सुन ही चुका है। और जब उसने जिंदा रहते हुए मेरी आवाज सुन ली तो कोई कारण नहीं है कि मुर्दा रहते मेरी आवाज क्यों न सुनेगा! तुम न मुझे जिंदा रहकर सुने हो, न तुम मुझे मुर्दा रहकर सुन पाओगे -तुम जिंदा में भी नहीं सुन पाए तो तुम मुर्दा में कैसे सुनोगे? ऐसी घटना घटी हो, न घटी हो, ये घटनाएं प्रतीक घटनाएं हैं। लेकिन बात तो सच है, गुरु जब पुकारता है शिष्य को कि लजारस उठ, बाहर आ, तो लजारस उठकर बाहर आ जाता है । श्रवणमात्रेण। फिर ना-नुच नहीं करता है। फिर यह नहीं कहता है कि अभी कैसे आऊं, अभी तो अंधेरा है, अभी तो रात बहुत है, अभी थोड़ी देर और सो लेने दें, कि मैं तो मरा पड़ा हूं -लजारस ने यह भी न कहा कि यह कोई वक्त की बात है, मैं इधर मरा पड़ा हूं, इधर कब में रखने की मेरी तैयारी चल रही है - जब लजारस बाहर आया तो उसके ऊपर कफन बंधा था - उसने यह भी न कहा कि अब कफन में बंधे से तो मत उठाओ, लोग क्या कहेंगे! कुछ तो औपचारिकता बरतो । नियम बिलकुल तो मत तोड़ो, मर्यादा तो रखो। मैं इधर मरा पड़ा हूं, अर्थी पर कसा पड़ा हूं, तुम बुलाते हो? नहीं, आ गया । सुनना आ जाए ! तो अगर तुम गौर से देखो तो तुम भी अर्थी पर रखे हो। यह शरीर जिसको तुम अपना कह रहे हो, अर्थी से ज्यादा नहीं है। और जिनको तुम वस्त्र कह रहे हो, यह कफनी से ज्यादा नहीं हैं। इसीलिए तो फकीर के वस्त्र को कफनी कहते हैं। कफन से बनाया कफनी है तो कफनी ही । कफन कहो, कफनी कहो, क्या फर्क पड़ता है? इस शरीर पर जो भी वस्त्र पड़े हैं, सभी कफनी हैं। और यह
SR No.032114
Book TitleAshtavakra Mahagita Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year
Total Pages444
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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