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________________ झंझट अब आपने पकड़ा दी, अब यह अंगूठा! सिगरेट तो कम-से-कम ऐसी थी थोड़ी सामान्य थी, अब यह अंगूठा अगर मैं कहीं वक्त-बेवक्त पीने लग किसी के सामने, तो इस उम्र में जंचेगा नहीं। सिगरेट परिपूरक है, अधिक लोगों को अंगूठा पीने की आदत थी। या, मां का स्तन जल्दी छुड़ा लिया गया है। जब वह छोड़ना नहीं चाहते थे। और सिगरेट में थोड़ा मां के स्तन का संबंध बड़ा गहरा है। सिगरेट का जो धुंआ है, गर्म धुंआ, वह मां के गर्म दूध की स्मृति को जगाता है। और कुछ भी नहीं है सिगरेट में। वह जो गर्म धुंआ है, वह गर्म दूध की धार की बड़ी दूर की ध्वनि है। और सिगरेट को मुंह में रख लिया तो जैसे स्तन को मुंह में रख लिया। बचपन में स्तन जल्दी छुड़ा दिया गया है, या अंगूठा पीना जल्दी छुड़ा दिया गया है। अंगूठा भी स्तन का परिपूरक है। बच्चा क्या करे, जब वह स्तन मुंह में चाहता है, मां देने को राजी नहीं तो अंगूठा दे लेता है। कोई परिपूरक तो खोजना ही पड़ेगा। कोई सज्जीट्यूट तो करना ही पड़ता है। अब जब यह व्यक्ति सिगरेट की आदत पर ध्यान करना शुरू किया, तब इसे यह सब बात दिखायी पड़नी शुरू हुई। मैंने कहा, तू फिकर छोड़, तू अंगूठे को पी ही ले दिल भरकरा और अब तू अंगूठे पर ध्यान करना शुरू कर। सिगरेट छोड़ना कठिन था, क्योंकि सिगरेट से निकोटिन खून में जाता है और निकोटिन शरीर की आदत बन जाती है। अंगूठा छोड़ना सरल हुआ एक दफा सिगरेट गयी, उसकी जगह अंगूठा आया-अंगूठे में कोई जहर नहीं है, कोई निकोटिन नहीं है। सच तो यह है, कोई अंगूठा पीए तो उसको कभी अनादर मत करना। सिगरेट की अप्रतिष्ठा होनी चाहिए, अंगूठा तो बिलकुल ही निर्दोष है। और अपना ही अंगूठा पी रहे हैं, किसी दूसरे का भी नहीं पी रहे हैं। इतनी स्वतंत्रता तो मनुष्य को होनी ही चाहिए। वह गया, अंगूठा पीना गया, क्योंकि उसमें तो कोई जड़ता है ही नहीं। वह तो बात खतम हो गयी, एक दफा बोध हो गया, बात खतम हो गयी। तुम आदत छोड़ने में उतनी उत्सुकता मत लो जितनी आदत को समझने में| क्योंकि समझ से ही आदत छूटती है। चौथा प्रश्न : मन और विचार में क्या फर्क है? कल आपने कहा कि विचार से ही कृत्य बनते हैं और आप यह भी कहते हैं कि सब कुछ घटित होता है। तो इस होने और वैचारिक कृत्य में -विचार से घटित होनेवाले कृत्य में क्या अंतर है? समझाने की अनकंपा करें। मन और विचार में क्या फर्क है? विचार तरंग है, मन सारे तरंगों का जोड़। विचार घटक
SR No.032114
Book TitleAshtavakra Mahagita Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year
Total Pages444
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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