SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 262
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तुम इसके चाहो छोटे-मोटे प्रयोग कर सकते हो। तुम्हारी पत्नी सो रही हो र चले जाना उसके पास, एक बरफ का टुकड़ा धीरे - धीरे उसके पैर में छुलाना और फिर बाद में उससे जब वह जागे तो पूछना कि तने क्या सपना देखा? वह सपना देखेगी कि पहाड गयी है, बरफ पर चल रही है। इस तरह का सपना पैदा हो जाएगा। या जरा आच दे देना उसके पैर को तो सपना देखेगी कि चली गयी मरुस्थल में, कि सहारा में पहुंच गयी कि धूप पड़ रही भयंकर, कि पैर जल रहे भयंकर! यह तो तुमने बड़ा स्थूल काम किया। या तकिया रख देना उसकी छाती पर। वह सोचेगी कि आ गया कोई दैत्य, दानव, छाती पर बैठा है। घबड़ाने लगेगी। परेशान होने लगेगी। तकिया तो दूर, उसके ही हाथ दोनों उसकी छाती पर रख देना, तो घबड़ाने का सपना देखने लगेगी। यह तो मैं तुमसे स्थूल कह रहा हूं यह तो स्थूल है बात। सूक्ष्म बात भी कर सकते हो। कोई आदमी सोया हो, उसके पास बैठ जाना और कोई एक विचार बहुत प्रगाढता से सोचने लगना। अगर कोई व्यक्ति सोनेवाला तुमसे संबंधित हो इसलिए मैंने कहा पत्नी, या पति, या बेटा जिनसे तुम्हारा गहरा संबंध हो वे ज्यादा शीघ्रता से ग्रहण करते हैं। प्रेम के सहारे सब तरह की बीमारियां एक-दूसरे में आती-जाती हैं। द्वार खुला रहता है। बैठ जाना अपनी पत्नी के पास आख बंद करके और एक ही विचार सोचना-कोई भी एक विचार, जैसे एक नंगी तलवार लटकी है। खूब प्रगाढ़ता से सोचना कि नंगी तलवार तुम्हें बिलकुल स्पष्ट दिखायी पड़ने लगे। और तुम सोचना कि यह नंगी तलवार मेरी पत्नी को भी दिखायी पड़ रही है, दिखायी पड़ रही है। सोचते ही जाना, सोचते ही जाना, घूम-घूम कर बार-बार इसी पर आ जाना, बार-बार सोचना। तुम चकित हो जाओगे, दो -चार दफे प्रयास करने के बाद तुम सफल हो जाओगे। पत्नी जागकर कहेगी कि आज एक अजीब सपना आया कि एक नंगी तलवार लटकते देखी। इस पर बहुत प्रयोग हुए हैं और अब तो एक वैज्ञानिक आधार पर यह बात कही जा सकती है कि सपने भी एक-दूसरे में प्रवेश करते हैं, विचार भी एक-दूसरे में प्रवेश करते हैं। एक छोटा-सा प्रयोग तुम कर सकते हो। चले जा रहे हो तुम किसी के पीछे, उसकी चैथी पर आख गड़ा लेना और जोर से भीतर सोचना कि लौट, लौटकर देख। दो -तीन मिनिट में वह एकदम लौटकर देखेगा, एकदम घबड़ाकर कि क्या मामला है! और तुम देखोगे उसके चेहरे पर कि बड़ी बेचैनी है, बात क्या है? क्योंकि ठीक चेंथी के पास वह केंद्र है, जहां से ग्रहण किए जाते हैं विचार। मस्तिष्क में जहां से प्रवेश होता है; जहां से बड़ी सुगमता से प्रवेश होता है। सपने भी अपने नहीं हैं। और तुम्हारी जिंदगी सिवाय सपनों के और कुछ भी नहीं है। और सपने भी अपने नहीं हैं। बचे हैं खंडहर अब तो महज दो-चार सपनों के न सोचा इस तरह हमको करेगा बेदखल कोई जिंदगी के आखिर में पाओगे कि कुछ भी नहीं बचा-असली खंडहर भी नहीं बचते। बचे हैं खंडहर अब तो महज दो-चार सपनों के न सोचा इस तरह हमको करेगा बेदखल कोई
SR No.032114
Book TitleAshtavakra Mahagita Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year
Total Pages444
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy