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________________ मेरे हाथ में हाथ देने की हिम्मत रखना, ताकि जब तुम्हारा जन्म हो, तो तुम्हें कोई ऐसी चोट न लग जाये जो संघातक हो। तुम बचाए जा सको। अब आ ही गये हो तो आ ही जाओ। यह भय इत्यादि छोड़ो। जैसा विरोध चला गया वैसा ही भय भी चला जाएगा। तूफान आएगा, और उसके बाद ही शाति दूर से आए थे साकी सुनके मयखाने को हम पर तरसते ही चले अफसोस पैमाने को हम अगर पास न आए तो ऐसा ही होगा। दूर से आए थे साकी सुनके मयखाने को हम बड़े दूर से खबर सुनी थी मधुशाला की और आए थे। पर तरसते ही चले अफसोस पैमाने को हम लेकिन बिना पीए जा रहे हैं। लेकिन तुम्हारे अतिरिक्त कोई और जिम्मेवार नहीं है। तुम उत्तरदायित्व मुझ पर न सौंप सकोगे। मैं तो रोज डाले जा रहा हूं। मैं तो सुराही लिए खड़ा हूं। पैमानों का हिसाब कहां है, चुल्ल से पीओ, भरके पीओ। अगर तुम खाली हाथ गये तो तुम्हारे अतिरिक्त कोई और जिम्मेवार नहीं है। और इस जिंदगी में है भी क्या, जिसको खोने से तुम इतने डर रहे हो! है क्या तुम्हारे पास, जिसे बचाने को इतने आतुर हो! खोजती भौतिक क्षितिज आंखें यहां कब्र से ज्यादा न कीमत ताज की प्यार के पुख्ता धरातल पर बनाये थे महल पर बिना आधार की मीनार से ढहते रहे कहीं घर है न कहीं दवार जिंदगी तेरा करें किस ठौर इंतजार जिंदगी तेरा मौत के पास तलक हाथ खींचकर लायी मगर मरता न एतबार जिंदगी तेरा जिस जिंदगी में सिवाय मौत के कुछ नहीं घटता, उस पर भी भरोसा किये चले जाते हो! और जिस समर्पण से मृत्यु के माध्यम से भी महाजीवन घटता है, वहां भी डरते हो भयभीत होते हो, संकोच करते हो! जिंदगी है अपने कब्जे में न अपने वश में मौत आदमी मजबूर है और किस कदर मजबूर है न जन्म तुम्हारे हाथ में है, न मौत तुम्हारे हाथ में है। सिर्फ एक चीज तुम्हारे हाथ में है, वह है समर्पण। जन्म हो गया, मौत होकर रहेगी। समर्पण तुम चाहो तो हो सकता है, तुम चाहो तो नहीं होगा। सिर्फ एक बात के तुम मालिक हो, वह है संन्यास।
SR No.032114
Book TitleAshtavakra Mahagita Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year
Total Pages444
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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