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________________ किसी बच्चे को हंसते देखकर तुम्हारी आंखों में आंसू भर आयें तो बंदगी हो गई। इन पक्षियों के कलरव से तुम्हारी आंखें अगर गीली हो आयें तो बंदगी हो गई। भाव है बंदगी। और ऐसी बदगी फिर जाती नहीं। ऐसा नहीं है कि हो गई और समाप्त हो गई। ऐसी बंदगी फिर जाती नहीं। सूखी बदगी कर भी ली और खतम भी हो जाती है। होती भी नहीं और खतम भी हो जाती है। गीली बंदगी, भावपूर्ण बंदगी हुई तो हुई डूबे तो डूबे। फिर चलती ही रहती है, सरकती ही रहती है तुम्हारे रोएं-रोएं में, श्वास-श्वास में। याद एक जख्म बन गई है वरना भूल जाने का कुछ खयाल तो था लेकिन फिर प्रभु का स्मरण भी ऐसा हो जाता है जैसे जख्म हो गया। एक दर्द, मीठा दर्द, जो भीतर सदा बना रहता है, जाता नहीं। याद एक जख्म बन गई है वरना भूल जाने का कुछ खयाल तो था अब तो मूलने के उपाय से भी भूलना नहीं होता| खयाल भी हो कि भूल जायें तो भी भूलना नहीं हो सकता है। बहुत बार जिसकी जिंदगी में बंदगी आई है वह सोचता है, कहां झंझट में पड़े! छूट जायें इससे। घबड़ाहट लगती है कि यह किस तरह चल पड़े! यह कौन-सी रौ में बहने लगे! यह कौन सी धारा ने पकड़ लिया। सब अस्तव्यस्त होने लगी जिंदगी पुरानी। पुराना ढांचा पिघलने लगा, बिखरने लगा। जो अब तक बनाया था, अर्थहीन मालूम होने लगा। यह किस मार्ग पर चले? किस अनजान राह पर चले? बहुत बार मन होता है कि लौट जायें वापिसा वह जो अनजाना है उससे डर लगता है। जो जाना-माना है उसी में थिर हो जायें। फिर लौट जायें। लेकिन यह हो नहीं सकता। याद एक जख्म बन गई है वरना भूल जाने का कुछ खयाल तो था फिर भूल नहीं सकते। अभी तुम कहते हो, परमात्मा को कैसे याद करें? और एक ऐसी भी घड़ी आती है कि फिर तुम पूछोगे कि अब परमात्मा को कैसे भूलें? जब वह घड़ी आ गई तो समझो कि बंदगी हो गई, तो समझो कि प्रार्थना हुई तो बात उतर गई तीर की तरह हृदय में। तब तुम कहोगेकुछ वक्त कट गया जो तेरी याद के बगैर हम पर तमाम उम्र वो लमहे गिरा रहे फिर तुम कहोगे, कि वह जो तेरी याद के बिना जो थोड़ा-सा वक्त कट गया जिंदगी का, वह बोझ की तरह ढोना पड़ रहा है। वही दुख हो जायेगा जो तेरे बिना वक्त कट गया। जो तुझे याद किये बिना दिन गुजर गये वही बोझ की तरह छाती पर पत्थर की तरह बैठे हैं! क्यों ऐसा न हुआ कि तब भी तुझे याद किया? क्यों ऐसा न हुआ कि तब भी तुझे पुकारा? क्यों कटे वे दिन तेरी बिना याद के? कुछ वक्त कट गया जो तेरी याद के बगैर
SR No.032114
Book TitleAshtavakra Mahagita Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year
Total Pages444
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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