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________________ यह कोयल की कानाफूसी यह मैना की सीनाजोरी हर क्रीड़ा तेरी क्रीड़ा है हर पीड़ा तेरी पीड़ा है मैं कोई खेलूं खेल दांव तेरे ही साथ लगाता हूं हर दर्पण तेरा ही दर्पण है मैं कोई खेलूं खेल दांव तेरे ही साथ लगाता हूं हर दर्पण तेरा ही दर्पण है फिर सारा रहस्य, सारी लीला परमात्मा की है। फिर न भागना है, न कुछ वर्जना है, न कुछ त्यागना है। त्यागना है एक बात; उसे तो हम त्यागते नहीं । हम सब त्यागने को तैयार हैं। धन छोड़ने को तैयार हैं, पद छोड़ने को तैयार हैं, पत्नी-बच्चे छोड़ने को तैयार हैं। एक चीज छोड़ने को तैयार नहीं- मैं को छोड़ने को तैयार नहीं । इसलिए तुम बड़े चकित होओगे; आदमी ने धन छोड़ दिया, पद छोड़ दिया, मकान छोड़ दिया, घर-गृहस्थी छोड़ दी, वस्त्र छोड़ दिये, नग्न खड़ा हो गया । और देखो भीतर - दहकता अंगारा अहंकार का। वह नहीं छूटा जो छूटना था। तुम्हारे संन्यासी में जैसा अहंकार प्रकट होता है वैसा किसी में प्रकट नहीं होता। अगर तुम्हें असली शुद्ध अहंकारी देखने हों तो साधु-संन्यासी, मुनि - महाराजों में देखना । संसार में तो तुम्हें अशुद्ध अहंकारी मिलेंगे। मिलावट है संसार में बहुत । शुद्ध अहंकारी तुम्हें मंदिरों में, पूजागृहों में मिलेंगे। वहां मिलावट भी नहीं है। वहां बिलकुल शुद्ध अहंकार है, जहर ही जहर है। छोड़ना है अहंकार, लोग छोड़ते हैं कर्म । कर्म छोड़ना आसान है। कौन नहीं छोड़ना चाहता ? सचाई तो यह है, कर्म से तो सभी भागना चाहते हैं। कौन नहीं चाहता कि छुटकारा मिले कर्म से ? कर्ता को कोई नहीं छोड़ना चाहता । जिसको कोई नहीं छोड़ना चाहता उसी को छोड़ने में गौरव है। और आदमी ऐसा है कि हर जगह से अहंकार को बनाने के बहाने खोज लेता है। मुल्ला नसरुद्दीन को लाटरी में पहला इनाम मिल गया। स्वयं तो पढ़ा-लिखा है नहीं। तो जो स्वयं पढ़े-लिखे नहीं होते उनको अपने बेटे बच्चों को पढ़ाने की बड़ी धुन होती है। उनके बहाने ही कम से कम पढ़े-लिखों के मां-बाप हो जायें। लाटरी में पैसा हाथ लग गया तो उसको एकदम धुन सवार हुई कि सुपुत्र को खूब पढ़ाना है। किसी ने सलाह दी कि जब पढ़ा ही रहे हो तो विदेशी भाषायें पढ़ाओ । तो मुल्ला ने कहा, यह बिलकुल ठीक सुझाव है । अतः विदेशी भाषा सिखानेवाले विश्वविद्यालय में पहुंचा। उपकुलपति से बोला, मैं अपने पुत्र को विदेशी भाषा सिखाना चाहता हूं। खर्च की फिक्र न करें। जो खर्च होगा, दूंगा । उपकुलपति ने पूछा, महानुभाव, कौन-सी विदेशी भाषा सिखाना चाहते हैं— फ्रेंच, जर्मन, स्पेनिश, इटालियन ? मुल्ला नसरुद्दीन ने कहा, इस सब विस्तार में मत पड़ो। इनमें जो भी सबसे ज्यादा विदेशी हो वही सिखाना चाहता हूं। मेरा बेटा ऐसी-वैसी विदेशी भाषा नहीं महाशय को कैसा मोक्ष ! 65
SR No.032113
Book TitleAshtavakra Mahagita Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1990
Total Pages436
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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