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________________ से। भीड़ चाहती है तुम वैसा ही वर्तन करो जैसा वे करते हैं। वैसे ही कपड़े पहनो, वैसे ही उठो-बैठो, वैसी ही चलो. वही रीति-रिवाज। भीड बर्दाश्त नहीं करती कि तम उनसे अन्य हो जाओ। क्योंकि अन्य होने का यह अर्थ होता है : तो तुम भीड़ को गलत कह रहे हो? अन्य होने का यह मतलब होता है: तो हम सब गलत हैं, तुम सही हो? __ जब जीसस को लोगों ने देखा तो सवाल उठा कि अगर जीसस सही हैं तो हमारा क्या? हम सब गलत? तो जीसस को उन्होंने सूली दे दी-मजबूरी में; अपने को बचाने में। कोई जीसस को सूली देने में उनका रस न था। रस इस बात में था कि अगर जीसस सही हैं तो हम सब गलत होते हैं। और यह जरा महंगा सौदा है कि हम सब गलत हों। इतनी बड़ी भीड़! यह जरा लोकतंत्र के विपरीत है। तो जीसस को सूली दे दो, झंझट मिटाओ। इस आदमी की मौजूदगी उपद्रव लाती है। मगर जीसस सूली पर भी खरे उतरे। जीसस ने सूली पर से भी प्रभु से कहा, हे प्रभु! इन्हें क्षमा कर देना क्योंकि ये जानते नहीं कि ये क्या कर रहे हैं। और जब लोगों ने सूली पर से ये वचन सुने तब उन्हें याद आयी कि हम चक गये। हमने उसे मार डाला जो हमें जिलाने आया था। फिर पूजा, फिर अर्चना के दीप जले। आज जमीन पर जीसस को पूजनेवालों की संख्या सबसे बड़ी है। कारण? पश्चात्ताप! __ महावीर को पूजनेवालों की संख्या बहुत बड़ी नहीं है, क्योंकि महावीर के साथ हमने कोई बहुत दुराचार किया नहीं, पश्चात्ताप का कारण नहीं है। इसे तुम समझना। महावीर को हमने कोई सूली नहीं दी। तो जब सूली नहीं दी तो पश्चात्ताप क्या खाक करें! जीसस को सूली लगी। तो जिन्होंने सूली दी, अपराध का भाव गहरा हो गया। अपराध इतना गहरा हो गया कि कुछ करना ही होगा। अपराध से बचने के लिए अब उन्होंने पूजा की, चर्च खड़े किये। जीसस की पूजा सबसे बड़ी पूजा है जगत में, क्योंकि जीसस के साथ सबसे बड़ा दुर्व्यवहार हुआ। ठीक है, हम महावीर को भी पूज लेते हैं, राम और कृष्ण को भी पूज लेते हैं; लेकिन जीसस जैसी पूजा हमारी नहीं है; हो नहीं सकती। हमने इतना दुर्व्यवहार ही कभी नहीं किया। जीसस की ईसाइयत दुनिया में जीतती चली गई उसका कुल कारण क्रास पर लगी सूली है। अपराध इतना घना हो गया लोगों के चित्त में कि अब कुछ करना ही पड़ेगा इसके विपरीत, ताकि अपराध के भाव से छुटकारा हो जाये। पश्चात्ताप करना होगा। ____घबड़ाओ मत। लोग पत्थर मारें, अहोभाव से स्वीकार कर लेना। वही प्रार्थना मन में रखना कि ये जानते नहीं, क्या कर रहे हैं। या शायद परमात्मा इनके माध्यम से मेरे लिए कसौटियां जुटा रहा है। ___तुम पूरे पागल हो जाओ। तुम इतने पागल हो जाओ कि कौन क्या कहता है इससे तुम्हारे मन में कोई क्षोभ और कोई अशांति पैदा न हो। ऐसे मतवाले ही प्रभु की मधुशाला में प्रवेश करते हैं। अपनी बानी प्रेम की बानी 149
SR No.032113
Book TitleAshtavakra Mahagita Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1990
Total Pages436
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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