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________________ देखते रहे, ठीक-ठीक देखते रहे तो ठीक देखना बच रहता है, और सब चला जाता है। ठीक देखने की कला बच रहती है और सब चला जाता है। वही ठीक देखने की कला का नाम सम्यक बोध है। लेकिन उसको भी तभी तक हम ठीक कहते हैं जब तक गलत होने की थोड़ी-सी संभावना शेष है। जिस दिन गलत होने की संभावना गिर गई, पूरी की पूरी गिर गई, अब गलत की वासना उठती ही नहीं, उस दिन तो सिर्फ बोध रह गया। सहज बोध, सहज समाधि-बालवत! तीसरा प्रश्नः इस देश में राम की लीला को रामलीला कहते हैं और कृष्ण की लीला को रासलीला। रामलीला और रासलीला में क्या भेद है? ग | मलीला में राम महत्वपूर्ण हैं; ' रासलीला में कोई महत्वपूर्ण नहीं। रामलीला राम का चरित्र है; राम की गरिमा है वहां; राम मध्य में हैं, केंद्र पर हैं। वे मर्यादा, अनुशासन, धर्म, संस्कार, संस्कृति- इन सबसे घिरे बीच में खड़े हैं। कृष्ण की लीला में कृष्ण नहीं हैं-कोई नहीं है। कृष्ण की लीला में परमात्मा है; राम की लीला में राम हैं। कृष्ण की लीला रासलीला है। यह जो अनंत रास चल रहा है परमात्मा का, यह जो अनंत रस बह रहा है, यह जो अनंत नृत्य चल रहा है-इस नृत्य में राम की तो अपनी पसंदगियां-नापसंदगियां हैं; कृष्ण की कोई पसंदगी-नापसंदगी नहीं है। ___इसलिए मैं फिर से दोहराऊंः राम का चरित्र है; कृष्ण का कोई चरित्र नहीं। चरित्र का अर्थ होता है: योजना, व्यवस्था, चुनाव। राम ने एक ढंग से जीवन को बनाना चाहा है और सफल हुए; जीवन को वैसा बना कर दिखा दिया है। लाख कठिनाइयां थीं, लाख कुर्बानी करनी पड़ी, कुर्बानी कर दी। पिता का घर छोड़ना पड़ा, तो पिता का घर छोड़ दिया। लेकिन पिता ने आज्ञा दी तो आज्ञा का उल्लंघन न किया। जानते हुए भी कि अन्याय हो रहा है, फिर भी अन्याय का प्रतिकार न किया। ___राम परंपरागत हैं। रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जायें पर वचन न जाई! दे दिया वचन तो पूरा करना है। जैसा सदा होता रहा है वैसा ही करना-कुल के अनुसार चलना! राम के पास एक समादृत व्यक्तित्व है-परंपरागत! राम में कोई बगावत नहीं है, कोई क्रांति नहीं है। राम ट्रेडिशनल हैं। राम परंपरा हैं; जैसा होना चाहिए वैसा ही किया है। जो समाज को स्वीकार है वैसा ही किया है, 74 अष्टावक्र: महागीता भाग-4
SR No.032112
Book TitleAshtavakra Mahagita Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1990
Total Pages444
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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