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________________ जाते। बौद्ध बन गये, तो शब्दों का, सिद्धातो का, शास्त्रों का जाल हो गया। अब तुम लड़ोगे, काटोगे, पीटोगे, मारोगे, तर्क-विवाद करोगे, सिद्ध करोगे कि मैं ठीक हूं और दूसरा गलत है : लेकिन तुम्हारे जीवन से कोई सुगंध न उठेगी, तुम्हारे सत्य का तुम प्रमाण न बनोगे। तुम विवाद करोगे तर्क करोगे। तुम कहोगे. हमारे शास्त्र ठीक हैं, इनसे मुक्ति मिलती है। लेकिन तुम खुद प्रमाण होओगे कि तुम्हें मुक्ति नहीं मिली है। यह बड़ी हैरानी की बात है। तुम्हारे शास्त्र से मुक्ति मिलती है तो तुम तो मुक्त हो जाओ। एक ईसाई मिशनरी मुझे मिलने आया। जीसस के संबंध में उसने मेरे वक्तव्य पढ़े थे तो सोचा था कि यह आदमी भी शायद ईसाई है; ईसाई न भी हो तो ईसा को प्रेम करने वाला तो है। तो वह मुझे मिलने आया और कहने लगा कि ' अब आपको ईसाई होने से कोन-सी बात रोक रही है त्र' आप जब ईसा को इतना प्रेम करते हैं तो आप ईसाई क्यों नहीं हो जाते?' मैंने कहा कि 'मैं ईसा ही हो गया। ईसाई तो वे हों जो ईसा नहीं हो सकते हों।' वह थोड़ा हैरान हुआ। उसे थोड़ी चोट भी लगी। उसने कहा कि यह हो ही नहीं सकता। ईसा तो बस एक ही हो सकता है। तो मैंने कहा कि तुम्हें बस कार्बन कापी होने का ही अवसर बचा है? अब तुम मूल नहीं हो सकते? अब तुम उधार ही रहोगे? ईसाई ही बनोगे? ईसाई यानी कार्बन कापी। ईसा नहीं हो सकते, चलो ईसा की पूजा करो! बुद्ध नहीं हो सकते, बुद्ध की पूजा करो! लेकिन सारी चेष्टा ईसा की यही है कि तुम ईसा हो जाओ। और बुद्ध की सारी चेष्टा यही है कि तुम बुद्धत्व को उपलब्ध हो जाओ। भले आदमी थे वे, जैसा कि ईसाई मिशनरी अक्सर होते हैं। सज्जन! सज्जनोचित ढंग से वे मुझसे विदा होने लगे। कहने लगे कि 'फिर भी आप काम अच्छा कर रहे हैं, कम-से-कम ईसा का नाम तो पहुंचाते हैं। यही काम हम भी कर रहे हैं। वे दूर बस्तर में आदिवासियों को ईसाई बनाने का काम करते हैं। मैंने उनसे पूछा कि तुम्हें देख कर यह प्रमाण नहीं मिलता कि ईसा सही हैं। तुम्हें देख कर यही प्रमाण मिलता है कि तुम सुशिक्षित हो, सज्जन हो। तुम्हें देख कर इतना प्रमाण मिलता है कि तुमने शास्त्र ठीक से पढ़ा है, ठीक से अध्ययन किया है, लेकिन तुम्हें देख कर यह प्रमाण नहीं मिलता कि ईसा सही हैं। तुम दूसरे को बदलने में लगे हो, लेकिन स्वयं को बदला? तो उन्होंने क्या मुझसे कहा? कहा कि स्वयं को मुझे बदलने की जरूरत नहीं; वह तो मैंने ईसा पर छोड़ दिया है। वही मुक्ति देने वाले हैं, मुक्तिदाता! वे मुझे बदलेंगे, वे मेरे गवाह हैं। जब परमात्मा के सामने, कयामत के दिन खड़ा किया जाऊंगा तो वे मेरी गवाही देंगे कि ही, यह मेरा काम कर रहा था। मैंने कहा तुम उनका काम कर रहे हो, लेकिन उनका काम तभी कर सकते हो जब उन जैसे हो जाओ। और तो कोई काम करने का रास्ता नहीं है। तुम अपनी बेसुरी आवाज में सुंदरतम गीत भी गुनगुनाओ तो भी व्यर्थ है। तुम्हारा राग तुम्हारा सुर वैसा ही सुंदर होना चाहिये फिर तुम साधारण वचन भी बोलो तो उनमें भी गेयता आ जाएगी, उनमें भी छंद होगा। तुम दूसरे को मुक्त करने की कोशिश में लगे हो। ईसा तुम्हें मुक्त करेंगे और तुम दूसरे को मुक्त कर रहे हो तुम अभी मुक्त हो
SR No.032111
Book TitleAshtavakra Mahagita Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year
Total Pages422
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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