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________________ तो वह कमजोर होने लगा। इधर सिर्फ दूध पीने लगा तो कमजोर होने लगा, उधर रात नींद कम कर ली तो नींद से जो विश्राम मिलता था वह समाप्त होने लगा। मन के तंतु टूटने लगे। तो विक्षिप्तता की हालत आने लगी। उन्हीं किताबों में लिखा है कि साधक को ऐसी असुविधाएं भी आती हैं। तपश्चर्या में ऐसी कठिनाइयां भी आती हैं। तो उसके लिए भी सांत्वना मिल गयी। अब यह जाल खुद खड़ा किया हुआ है। पांच घंटे सोना सभी के लिए ठीक नहीं हो सकता । ही, बुढ़ापे में ठीक हो सकता है। बुढ़ापे में नींद अपने से कम हो जाती है। और अक्सर लोग शास्त्र बुढ़ापे में लिखते हैं। तो वे जो अपने अनुभव से लिखते हैं, ठीक ही लिखते हैं। बुढ़ापे में भोजन भी कम हो जाता है। सच तो यह है कि बुढ़ापे के लिए दूध ठीक भोजन है। क्योंकि का फिर बच्चे जैसा हो आता है। फिर उसका जीवन उतना ही सीमित हो जाता है जैसे छोटे बच्चे का । अब कुछ जीवन में निर्माण तो होता नहीं; दूध काफी है। और नींद कम हो जाती है अपने-आप बच्चा मां के पेट में चौबीस घंटे सोता है। अब वह कहीं शिवानंद को पढ़ ले तो मरा । पैदा होने के बाद बाईस घंटे सोता है। वह शिवानंद को पढ़ ले तो गये ! फिर बीस घंटे सोएगा, फिर सोलह घंटे सोएगा। जवान होते-होते आठ घंटे सोला, सात घंटे सोएगा। यह स्वाभाविक है। का जैसे - जैसे होने लगेगा, नींद कम होने लगेगी। क्योंकि नींद की जरूरत है एक - वह है शरीर के भीतर टूट गए तंतुओं का निर्माण। के आदमी के तंतुओं का निर्माण होना बंद हो गया है, इसलिए नींद की जरूरत न रही। बच्चा चौबीस घंटे सोता है मां के पेट में, क्योंकि हजार चीजें निर्मित हो रही हैं, नींद चाहिए। गहरी नींद चाहिए ताकि कोई बाधा न पड़े, सब काम चुपचाप होता रहे। नींद के अंधेरे में निर्माण होता है। इसलिए तो बीज जमीन में अंदर चला जाता है, वहां फूटता है। रोशनी में नहीं फूटता चट्टान पर रखा हुआ| अंधेरा चाहिए। इसलिए तो वीर्य क्या मां के गर्भ में चला जाता है अंधेरे में, वहां जा कर विकसित होता है। अंधेरा चाहिए। गहरी नींद चाहिए । विश्राम चाहिए। बूढ़े आदमी की तो अपने - आप नींद खतम होने लगती है। मेरे पास के आ जाते हैं। वे दूसरे, वही उपद्रव में पड़े हैं। वे कहते हैं कि पहले हम आठ घंटे सोते थे, अब सिर्फ तीन घंटे नींद आती है। अब बड़े परेशान हैं, अनिद्रा के रोग ने पकड़ लिया है। यह रोग नहीं है, बुढ़ापे में स्वभावतः नींद कम हो जाएगी। अब तुम चाहो कि आठ घंटे सोओ, संभव नहीं है। बुढ़ापे में भोजन भी कम हो जाएगा । उसकी जरूरत ही न रही। जवानी में भोजन ज्यादा था। अब यह जवान लड़का है। अभी इसका जीवन बढ़ रहा है। अब यह पांच घंटे सोएगा, दिन भर नींद आएगी। नींद आने से तामसी होने का खयाल उठता है। भोजन के कारण नहीं कोई फर्क हो रहा है, नींद कम ले रहा है तो नींद आ रही है। और शास्त्र में पढ़ता है तो तामसी भोजन है - तो भोजन बदलो। फिर कमजोरी बढ़ने लगी। अब मस्तिष्क के तंतु टूटने लगे, उनका बनना बंद होने लगा। तो अब विक्षिप्त हो रहा है। तो सोचता है कि परमहंस होने की अवस्था करीब आ रही है। इन जालों से सावधान रहना ।
SR No.032111
Book TitleAshtavakra Mahagita Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year
Total Pages422
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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