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________________ बार हो कर देख लिए, हर होना खाली गया। अब जरा न हो कर देख लें। मोक्ष का मतलब इतना है : कि हो कर देख लिया, असफल हुए अब जरा न हो कर देख लें। 'जनक, कहीं तेरे भीतर कुछ भय तो नहीं है?' मोक्षकामस्य मोक्षात् एव विभीषिका आश्चर्यम्! अष्टावक्र कहते हैं : तू आश्चर्य की बात करता है, सुन, बड़े आश्चर्य मैं तुझे बताता हूं बड़े से बड़ा आश्चर्य यह है कि मोक्ष की कामना करने वाला भी मरने से डरता है। और जो मरने से डरता है, वह मोक्ष को कैसे उपलब्ध होगा ? मोक्ष तो महामृत्यु है। मुल्ला नसरुद्दीन और उसकी पत्नी खाना खा रहे थे, तभी रेडियो पर राग मल्हार आने लगा। 'वाह - वाह!' मुल्ला ने कहा, 'क्या प्यारी चीज है। 'क्या?' पत्नी ने जरा जोर से पूछा । · 'मैंने कहा, क्या प्यारी चीज है!' मुल्ला ने और जरा जोर से दोहराया। पत्नी बोली, 'इस रेडियो को बंद करो तो कुछ सुनाई दे । इस बेसुरी आssssss के कारण तुम्हारी बात सुनाई ही नहीं दे रही है । ' मुल्ला उसी मल्हार राग की बात कर रहा है, जिसको पत्नी कह रही है यह बेसुरी आsss आsss इसके कारण तुम्हारी बात ही सुनाई नहीं दे रही। वह जो मोक्ष का स्वर है, किन्हीं को तो मल्हार राग मालूम होती है, किन्हीं को सिर्फ आsss आsss..। क्या लगा रखा है शोरगुल! जो भयभीत हैं, उन्हें तो वह व्यर्थ का शोरगुल मालूम होता है। क्योंकि उन्होंने व्यर्थ के शोरगुल को सार्थक समझ रखा है, इसलिए सार्थक उन्हें व्यर्थ मालूम होने लगा। वे उल्टे खड़े हैं, शीर्षासन कर रहे हैं। लेकिन जिन्होंने व्यर्थ को व्यर्थ जान लिया है, उन्हें तत्क्षण वह जो मोक्ष की ध्वनि है, जो तुम्हारी मृत्यु में थोड़ी-सी आती है - वह राग मल्हार हो जाती है, वह जीवन का महासंगीत हो जाता है। अगर तुमने जीवन से कुछ भी समझा है तो एक बात तो समझो कि जीवन बिलकुल असार है। इसमें सार जैसा कुछ भी तो नहीं है। दौड़ो - को, आपा-धापी, खूब करो श्रम - हाथ कुछ भी लगता नहीं है। यह बड़ा आश्चर्य है ! और फिर भी तुम मरना नहीं चाहते। फिर भी तुम मिटना नहीं चाहते। फिर भी तुम कहते हो, कोई तरकीब बताएं कि मैं सदा बना रहूं, सदा-सदा बना रहूं क्या करोगे सदा बने रह कर ? कहते हैं, जब सिकंदर पूरब आया तो उसके दरबारियों में से एक ज्ञानी ने उसे कहा कि तू पूरब जा रहा है, मार्ग में कहीं एक ऐसा स्थान है, जहां जल का एक झरना है मरुस्थल में, उसे जो पी लेता है वह अमर हो जाता है। अब तू जा ही रहा है, तो उसकी भी खोज कर लेना; शायद मिल जाए; शायद यह कथा ही न हो, सच हो । सिकंदर ने अपने सैनिकों को सचेत कर दिया कि खोजबीन करते रहना। कहीं भी ऐसी जरा भी भनक पड़े, कान में अफवाह पड़े, मुझे खबर कर देना। खबर आ गई। बीच एक रेगिस्तान से गुजरते
SR No.032110
Book TitleAshtavakra Mahagita Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year
Total Pages407
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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